"गंगा एक प्रेरणा है , कल्पना है , एक भावना है। गंगा ह्रदय है , आत्मा है , साधना है , शुद्धि है , सिद्धि है। गंगा उपनिषद है , गीता है , गायत्री है। गंगा भारत है , भारतीयता है, भारत की आत्मा है। गंगा इतिहास है , पुराण है, मिथक है , प्रतीक है। गंगा सत्यं -शिवम् - सुन्दरं का धरती पर अवतरण है।"
"गंगा के दर्शन मात्रा से ही भारत , पूरा भारत , सनातन भारत हमारी धमनियों में , हमारी शिराओं में प्रवाहित होने लगता है। भारत की आत्मा, भारत की साधना , भारत की संस्कृति , भारत का संस्कार हमारे छुटपन के भीतर घुसकर , हमारी नगण्यता में प्रवेशकर उसे रस से , आनंद से , ज्योति से , अलोक से भास्वरदीप्त कर देता है। हम कुछ दूसरे हो जाते हैं , हम पिघलकर भारत की आत्मा बन जाते हैं , भारत का संस्कार , उसकी संस्कृति , उसका भाव , उसकी अनुभूति। "
प्रो (डॉ ) रवीन्द्र नाथ ओझा के निबंध -संग्रह ' निर्माल्यं ' से उद्धृत "Maa Ganga Sammelan " was organized in Mavalankar Auditorium , Rafi Marg, New Delhi on 4th February 2020 on " Bharatiya Aastha Evom Paryavaran Raksha Hetu Ganga Ki Aviralata" under the banner of Jal Biradari/Jal Jan Jodo Abhiyan/Rashtrakavi Ramdhari Singh 'Dinkar' Smriti Nyas. It was presided over by Jal Purush Magasaysay Awardee Rajendra Singh with Special Guest Rewati Raman Singh MP , Swami Shivanand Saraswati and others. This is the video clip of the Sammelan.
No comments:
Post a Comment