Monday, April 4, 2016

Prakrit Pradhyapak Prof Rabindra Nath Ojha

        प्रकृत प्राध्यापक पं  रवीन्द्रनाथ  ओझा 
- व्रतराज  दुबे 'विकल'



जाड़ा  हो या गर्मी 
धूप या छाँव 
वर्षा हो या तूफान 
शहर हो या गाँव 
उत्तम अभियान पर 
निकला हुआ एक व्यक्ति 
सड़क -किनारे 
पकड़े पगडंडी 
छोटा केश
 सादा-वेश 
कुर्ता और धोती 
रंग जैसे मोती 
मझोला कद 
विश्वास की हद 
एक हाथ में झोला 
एक हाथ में छाता 
निभाता हुआ फ़र्ज़ 
जोड़ता हुआ नाता 
विद्वता की झुकान 
विनम्रता की मुस्कान 
देता हुआ वरदान 
पाया हुआ सम्मान 
गोष्ठी अधिवेशन 
परिचर्चा सम्मलेन 
सभी स्थल पर 
आता जाता दिखाई पड़ता है 
जिसे  हम 
आर. एन.ओझा कहते हैं 


प्रो  रवींद्र नाथ ओझा 




भावना से अभिभूत 
भारतीयता के दूत 
संस्कार के शिखर 
बुद्धि के प्रखर 
अहंकार से मुक्त 
प्यार से युक्त 
साहस के सम्राट 
व्यक्तित्व के विराट 
सिद्ध कलाकार 
कौशल अपार 
तलवार की धार 
मन के उदार 
मानव के भक्त
ईमान सशक्त 
शील के भंडार 
धैर्य  के पहाड़ 
आशा के दीप 
मन के महीप
आस्था की आंधी 
ज्ञान  के गांधी 
प्रेरणा के स्रोत 
पुरुषार्थ का पोत 
युग का आदर्श 
जो देता है हर्ष  
मिटाता अमर्ष 
ले शब्द सुमन 
उसको मेरा नमन 
सौ बार नमन 



"विप्राः बहुधा वदन्ति" 'रवीन्द्र नाथ ओझा के व्यक्तित्व का बहुपक्षीय  आकलन' पुस्तक से उदधृत 




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