From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature's Painting on 1 May 2020
during Delhi Lock-down
(All the images are subject to IPR)
(वहाँ सूर्य प्रकाशमान नहीं हो सकता और चन्द्रमा आभाहीन हो जाता है, समस्त तारागण ज्योतिहीन हो जाते हैं - वहाँ विद्युत् भी नहीं चमकती न ही कोई पार्थिव अग्नि प्रकाशित होती है। क्योंकि, जो कुछ भी प्रकाशमान है वह 'उस'की ज्योति की प्रतिच्छाया है, 'उस' की आभा से ही यह सब प्रतिभासित होता है। )
न तत्र सूर्यो भाति न चन्द्रतारकं नेमा विद्युतो भान्ति कुतोsयमग्निः।
तमेव भान्तमनुभाति सर्वं तस्य भासा सर्वमिदं विभाति।।
कठोपनिषद
(वहाँ सूर्य प्रकाशमान नहीं हो सकता और चन्द्रमा आभाहीन हो जाता है, समस्त तारागण ज्योतिहीन हो जाते हैं - वहाँ विद्युत् भी नहीं चमकती न ही कोई पार्थिव अग्नि प्रकाशित होती है। क्योंकि, जो कुछ भी प्रकाशमान है वह 'उस'की ज्योति की प्रतिच्छाया है, 'उस' की आभा से ही यह सब प्रतिभासित होता है। )
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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