Wednesday, March 25, 2020

हे नव संवत्सर !!! - डॉ सुशीला ओझा




हे नव संवत्सर !!!  - डॉ सुशीला ओझा 



हे नव संवत्सर!

नव -ऊर्जा के सौन्दर्य संवर्द्धक, नैसर्गिक नैवेद्यों से पुलकित , पल्लवित , कुसमित अन्तस को प्रक्षालित संतुलित , संयमित भावों से रोम रोम को ऊर्जस्वित करती -
नव्य धरा का नवल कलेवर नूतनता के फूलों से टंकित, मध्य दिवस की मदिर मलयानिल, मदमस्त हुआ जीवन अंतस -
इस सुरमयी , मनोहारी, मुग्धकारी , रमणीय , प्रकृति के बीच किसने तोड़ा अनुशासन की कड़ी , साँसों में जहाँ सुगंधमयता, पवित्रता , भव्यता , दिव्यता के भावों का विस्तार था -

इन तरंगों को किसने छेड़ने का दुस्साहस किया ?किसके गर्भ के संक्रमण से सारा विश्व संक्रमित है, सम्पूर्ण मानवता दहशत की गठरी बन गई है -

रक्तबीज के रक्त धरती से उत्पन्न होते हैं पर यह प्रलयंकारी साँसों के संक्रमण का मिसाइल दाग रहा है -

स्वच्छता , पवित्रता के मापदंडों का एक अजस्र प्रवाह,
घंटी ,घड़ियाल , थाली , डमरू का समवेत ध्वनि निनाद से संपूर्ण राष्ट्र विविधता में एकता की डोर से दृढ़संकल्पित , अटूटता , अडिगता का मिसाल - 
इसी नववर्ष में मत्स्य अवतार लेकर प्रलय से सृष्टि को बचाया था,
हमारे प्रधान मंत्री ने राष्ट्र की रक्षा के लिए जनता कर्फ्यू का आह्वान किया है , इस विषाक्तता के विनाश के लिए कठोर नियम,संयम ,  कानून , दृढ निश्चयता, संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आत्मसंयमता के दायरे में रखने की निर्णायक भूमिका निभाई है। 

राष्ट्र की रक्षा बहुत बड़ी चुनौती है 

इस वासंतिक नवरात्र में , नववर्ष के नूतन परिवेश के हृदयंगम दृश्यों से हम वंचित घरों में दुबकने के लिए मजबूर हैं -

प्रफुल्लित प्रकृति के बीच 
किसने हवा को  विषाक्त किया ?

आशा ,विश्वास ,उम्मीदों के वासंतिक 
नवरात्र में शक्ति स्वरूपा का शुभागमन 
इस प्रलयंकारी , महामारी के 
दुष्कृत्यों , विषवमित , जहरीली , लपलपाती जिह्वा से 
मानवता की रक्षित कर विजयिनी 
राष्ट्र रक्षा का देदीप्यमान कवच देवी के समक्ष है 
वे सारे विषाक्तता के चक्रव्यूह के भेदन में समर्थ हैं -

अहं राष्ट्री संगमनी 
नमस्ते स्तु महारौद्रे महाघोरपराक्रमे। 
महाबले महोत्साहे महाभयविनाशिनी।।

 डॉ सुशीला ओझा 
वरिष्ठ साहित्यकार व संस्कृति कर्मी 
बेतिया, प.चम्पारण, बिहार 



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