Sunday, July 13, 2025

Personal Essays | Acharya Rabindra Nath Ojha | Ek Budhiya Ki Adhuri Kahani | Anuradha Prakashan

Personal Essays | Acharya Rabindra Nath Ojha | Ek Budhiya Ki Adhuri Kahani | Anuradha Prakashan




पुस्तक :     एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी 
                  (आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा के रोचक ललित निबंधों का रुचिकर संग्रह )

पुनर्सृजन,संकलन, टंकण,संपादन एवं प्रस्तुति : डॉ अजय कुमार ओझा 

प्रकाशक : अनुराधा प्रकाशन, नई दिल्ली 


अनुक्रम 

1. काशी की वह संगीत संध्या 
2. मुनिया की शादी 
3. एक कुत्ते की कहानी 
4. एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी 
5. और एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी पूरी हुई 
6. मैदान की कहानी उसी की जुबानी (1/2)
7. मैदान की कहानी : उसी की जुबानी (2/2)


यह पुस्तक अमेज़न पर उपलब्ध है। 








“जीवन विचित्र है, इसके विषय में कुछ भी कहा नहीं जा सकता।  जीवन कोई set formula पर नहीं चलता, कोई बँधी लकीर या बनी लीक या beaten track पर नहीं चलता। इसका कोई नक्शा, रूटीन, टाईमटेबल - schedule, itinerary या प्रोग्राम नहीं होता।  दुर्दान्त निर्झर की तरह या पवन-प्रवेग की तरह या वारिद माला की तरह या प्रकृति के प्रवेग या नियति के उद्वेग की तरह, विद्युत की कौंध या सागर की लहर की तरह यह कब कैसे कहाँ कैसा मोड़ ले लेगा, कोई नहीं बता सकता, कोई नहीं कह सकता।  अजीब unpredictability है इसमें - अजीब प्रवाह, तरंग और मौज है इसकी।  जीवन जैसा capricious, whimsical  और eccentric शायद ही कोई जीव मिले। और यही जीवन का charm है, यही इसका romantic glamour है - यही इसका halo है, आभा मंडल है।” 

"काशी की वह संगीत संध्या" से


“बाजार की दुनिया एक अलग दुनिया है - बाजार का भाव एक अलग भाव है - बाजार एक विलक्षण भाव - एक विलक्षण रूप - एक विलक्षण मनोदशा - एक विलक्षण मनःस्थिति - एक विलक्षण दृष्टि - एक विलक्षण दृष्टिकोण - एक विलक्षण जीवन-दर्शन - पैसा, पैसा, पैसा - द्रव्य, द्रव्य, द्रव्य - धन, धन, धन  - आमद,  आमद, आमद बस और कुछ नहीं - बाजार मानवता का कब्रिस्तान है - दिव्यभावों का श्मशान है - आदर्शों का रेगिस्तान है - विचारों की मरुभूमि है - भावनाओं की दावाग्नि है - कल्पनाओं का महाभारत है - प्रेरणाओं की विध्वंस-लीला है, विनाश-भूमि है।”


"एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी" से
















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