Saturday, September 6, 2025

Sri Lanka’s Startup Festival ‘Disrupt Asia 2025’ Builds Strong Bridges with India

 Sri Lanka’s Startup Festival ‘Disrupt Asia 2025’ Builds Strong Bridges with India






 Disrupt Asia 2025, Sri Lanka’s premier startup conference and innovation festival, is set to take place from 17-20 September in Colombo, positioning the island nation as South Asia’s next innovation hub. India is expected to play a central role in shaping this year’s edition. For India’s vibrant startup ecosystem, the event presents a unique gateway into Sri Lanka and wider South Asian markets. It offers access to a pipeline of investor-ready startups, opportunities for cross-border technology transfer and product adaptation, and a platform to establish new partnerships in sectors such as education, AI, fintech, and sustainability.

 

Organized by the Ministry of Digital Economy and the Information and Communication Technology Agency (ICTA), in collaboration with global and regional partners, the event will bring together entrepreneurs, investors, policymakers, and changemakers from across the region.

 

Building on its successful previous editions held between 2016-2019, Disrupt Asia 2025 aims to accelerate digital transformation and cross-border collaboration through curated sessions, public showcases, and networking forums. The four-day event will also introduce landmark initiatives such as a USD 50 million Fund of Funds to support mission-driven startups, a Virtual Special Economic Zone (SEZ) to attract global tech firms, and new policy frameworks enabling greater private sector participation.


H.E. Santosh Jha, High Commissioner of India to Sri Lanka, remarked, “I am delighted by the strengthening of the innovation and technology partnership between India and Sri Lanka. This has received support from leadership of both countries which can be witnessed in the growing synergies between our two countries. We are also extending support to Sri Lankan talent to benefit from the vibrant tech ecosystem in India. I wish Disrupt Asia success in building greater linkages between India and Sri Lanka in the technology and innovation domain.”

 

Earlier this year in India, Disrupt Asia collaborated with Startup Mahakumbh 2025 in New Delhi, hosting a dedicated Sri Lankan pavilion with ten high-potential startups across MedTech, FinTech, EdTech, AI, and Blockchain. These innovators showcased their technologies to Indian investors and ecosystem leaders, while also engaging with the Indian High Commission to explore opportunities for deeper bilateral collaboration. A landmark MoU between Sri Lanka’s Ministry of Digital Economy and India’s Ministry of Electronics & IT (MeitY) was signed during the event, strengthening innovation diplomacy and laying the foundation for joint policy frameworks, cross-border investment, and technology exchange.

 

With Sri Lanka’s rapidly emerging innovation landscape, Disrupt Asia provides Indian startups and funds the chance to expand into new distribution channels, deepen regional presence, and build policy-led collaborations.

 

This year’s edition will also feature prominent voices from India’s startup ecosystem. Vijay Shekhar Sharma, Founder and CEO of Paytm, will deliver the keynote address, reflecting on India’s digital revolution, exploring Sri Lanka’s path to becoming the ‘Innovation Hub of South Asia.’ Rajan Anandan, Managing Director at Peak XV Partners and Surge, joins a panel discussion on South Asia’s investment landscape, offering insights into what makes regional markets attractive for investors. Additionally, Kiran Chandra Kalluri, Partner at Dallas Venture Capital (DVC), and Vineet Rai, Co-Founder of Intellecap, will also be part of the event, together with international participants such as Prashant Gulati (TiE Dubai), Nathan Griffith (The Accountant Group, Australia), James Tan (Quest Ventures, Singapore), and Carl R. Härtlein (Saint Clair Advisory & Capital, United Kingdom).

 

These diverse contributions illustrate the truly international scope of Disrupt Asia 2025, highlighting its role as a platform for cross-border collaboration and shared learning. The conference will also spotlight 50 of Sri Lanka’s most promising startups, including Utech Technologies (Pvt)Ltd, Permia Sensing Lanka (Pvt) Ltd, SimpleBook (Pvt) Ltd,  Nanosoft Global (Pvt) Ltd, MAGICBITS (Pvt)Ltd, PayMedia (Pvt) Ltd , Aahayani, Blue Lotus 360, Agent Zappy, Emojot and many more, representing sectors from health tech and fintech to AI-driven enterprise solutions and sustainability-led innovations.

 

Disrupt Asia 2025 is more than just a startup platform - it is a regional movement to reinvent South Asia’s innovation story. For India, it opens access to new markets, investible opportunities, and a chance to shape the regional narrative, while for Sri Lanka, it promises foreign direct investment, stronger technology partnerships, and recognition as a credible innovation hub. Built on the five pillars of partnerships, pathways, people, policies, and prosperity, the event fosters sustainable, inclusive growth while embracing frontier technologies like AI, blockchain, and IoT. Over four days, Colombo will transform into a vibrant hub of ideas and collaborations that redefine the future of entrepreneurship and technology in South Asia. To sum it all, if you are passionate about innovation and the startup ecosystem, Disrupt Asia is the perfect place to gain valuable experience and build meaningful networks to support your future growth and innovation journey. Tickets are now open!


(Inputs from Press Release)

 

Tuesday, September 2, 2025

'अनामिका साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच' की चतुर्थ ऑनलाइन काव्य गोष्ठी

 'अनामिका साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच'(Anamika Sahityik Evom Sanskritik Manch) की चतुर्थ ऑनलाइन काव्य गोष्ठी



2 सितंबर 2025 को 'अनामिका साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच' की चतुर्थ ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का शानदार प्रस्तुतिकरण और यादगार आयोजन संपन्न हुआ।

इस अवसर पर पूरे देश से साहित्यकार, रचनाकार, कवि और विद्वान् जुड़े रहे जिनमें उल्लेखनीय हैं श्री दयाशंकर मिश्र, डॉ मीना घूमे, श्री सुशील साहिल, श्रीमती प्रणति ठाकुर, डॉ शरद नारायण खरे, डॉ भारती सिंह, डॉ मनोज कुमार मिश्र, मेधा झा, डॉ सीमा स्वधा, श्रीमती प्रीति शर्मा 'प्रीति', नीतू बाबू, डॉ दिवाकर राय, डॉ अजय कुमार ओझा, श्रीमती सुमन झा, कमल अपरिचित, शुभ्रा मिश्रा, डॉ सुशीला ओझा।










दया, करुणा व संवेदना की मूर्ति श्रीमती राधिका देवी (Smt. Radhika Devi) की पुण्यतिथि (Death Anniversary)

दया, करुणा व संवेदना की मूर्ति   श्रीमती राधिका देवी (Smt. Radhika Devi) की पुण्यतिथि (Death Anniversary)



 संत साहित्य के पुरोधा आचार्य परशुराम चतुर्वेदी (Acharya Parshuram Chaturvedi) की भगिनी, आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा (Acharya Rabindra Nath Ojha)की धर्मपत्नी, अनेक साहित्यकारों, रचनाकारों, विद्वानों, अधिकारियों, नेताओं की गुरु माता - दया, करुणा व संवेदना की मूर्ति हमारी मां यानी‌ माई‌ श्रीमती राधिका देवी (Smt. Radhika Devi) की आज पुण्यतिथि है। मां को शत् शत् नमन।

लोग पूछते हैं‌ कि किसने ईश्वर को देखा ‌है‌? मैं कहता हूं और ऐसा मैंने अनुभव भी किया है‌ कि मैने‌ मां की निष्कलंक, निष्कलुष, निश्छल पारदर्शी आंखों में ईश्वर को‌ देखा है । जैसी आपकी दृष्टि होगी‌ वैसी ही सृष्टि दिखाई देगी।


श्रीमती राधिका देवी 


आचार्य परशुराम चतुर्वेदी 












आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा के साथ श्रीमती राधिका देवी

























Saturday, August 30, 2025

Reserve MP/MLA Seat in Tharuhat of West Champaran

 








पश्चिम चम्पारण के थारू आदिवासी भाई 2003 से अनुसूचित जनजाति में शामिल हो गए हैं। इसके लिए भी प्रयास अस्सी के दशक से चल रहा था । अस्सी के दशक से ही हम थारू आदिवासी के बीच थरूहट में जाने लगे थे। और फिर कुछ समय बाद थारूओं के गांव बखरी बाजार में उनकी झोंपड़ी में रहने लगे थे अपने शोध के क्रम में। और आस- पास के बीहड़ क्षेत्रों में, जंगल में पैदल ही जाया करते‌ थे। उस समय यह क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष कर रहा था। चाहे सड़क हो, या बिजली हो, या संचार का साधन हो, या बरसाती नदियों पर पुल हो, या स्वास्थ्य की सुविधा हो, या शिक्षा हो, या कानून व्यवस्था हो। उस समय तो यह क्षेत्र मिनी चंबल था, माओवादियों का अड्डा था। हत्या व किडनैपिंग रोजमर्रा की बातें थीं। कोई भी इस क्षेत्र में जाने से घबराता था, डरता था ।

उस समय से हमने थारू भाइयों विशेष तौर पर शंकर महतो तथा राम नाथ काजी जी को प्रेरित करना शुरू किया अनुसूचित जनजाति के लिए। मुझे यह बताने का मौका मिला कि नैनीताल के थारू बहुत पहले से ही अनुसूचित जनजाति में शामिल हैं फिर अपलोग क्यों नहीं? इसका असर ये हुआ कि ये लोग अपनी मांग लेकर बाहर जाने लगे। 1990 में शंकर महतो तथा राम नाथ काजी जी अपनी मांग को लेकर दिल्ली गए और केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रियों और अधिकारियों को अपना ज्ञापन सौंपा था।और इस तरह से यह क्रम जारी रहा, और लोगों ने भी इस मिशन में सहयोग देना प्रारंभ किया और परिणाम हुआ कि 2003 में पश्चिम चम्पारण के थारू अनुसूचित जनजाति में शामिल हो गए।
जेएनयू से पीएचडी की उपाधि प्राप्त होने‌ के बाद भी मैं पश्चिम चम्पारण के थरूहट आज भी जाता रहता‌ हूं। यानी चार दशक से ज्यादा का यह रिश्ता है ।लगता है ये भूमिका भी ईश्वर ने मुझे ही प्रदान की‌‌ है ताकि सीधे सादे थारू भाइयों का कल्याण हो‌ सके ।
जब डिलिमिटेशन की प्रक्रिया चल रही थी तो मुझे अपने ब्लॉग तथा यूट्यूब के माध्यम से ये बात रखने का अवसर मिला कि थरूहट में थारू आदिवासियों के लिए एम पी, एम एल ए सीट (MP/MLA)आरक्षित होनी चाहिए और इस तरह से जो दशकों से उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा न देकर उनके साथ जो घोर अन्याय हुआ उसकी भरपाई एम पी, एम एल ए सीट आरक्षित कर किया जा सकता‌ है। इससे थारू भाइयों की आवाज विधानसभा तथा लोकसभा तक पहुंचेगी।
अपने ब्लॉग में मैंने ये मुद्दा 15 दिसंबर 2013 को तो उठाया ही था,अपने यूट्यूब चैनल पर 14 सितंबर 2020 को भी उठाया था । वैसे चर्चा तो मैं पहले से ही करता आया हूं। और अब ये मुद्दा फेसबुक के माध्यम से भी उठा रहा हूं ताकि संबंधित मंत्रियों व अधिकारियों तक मेरी बात पहुंचे और पश्चिम चम्पारण के थारू अनुसूचित जनजाति भाइयों को अपनी बात सीधे तौर पर विधानसभा एवं लोकसभा में रखने का अवसर प्राप्त हो। बिहार के विभाजन के उपरान्त पश्चिम चम्पारण की थारू जनजाति अब बिहार की मुख्य अनुसूचित जनजाति हो गई है ।
















Monday, August 25, 2025

Ek Budhiya Ki Adhuri Kahani|Acharya Rabindra Nath Ojha|Dr Ajay Kumar Ojha| Nagari Lipi Parishad


"एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी"पुस्तक पर समीक्षा








आइए देखिए "एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी"पुस्तक पर समीक्षा एक पूर्व कुलपति और अध्यक्ष नागरी लिपि परिषद डाॅ प्रेमचंद पातंजलि से, आकाशवाणी के पूर्व अधिकारी तथा जाने-माने लेखक व कवि श्री अरूण कुमार पासवान से और आकाशवाणी के पूर्व अधिकारी, प्रसिद्ध साहित्यकार एवं महामंत्री नागरी लिपि परिषद डाॅ हरिसिंह पाल से।






Demystifying the Origin of Tharus|Dr Ajay Kumar Ojha| Tharus of West Champaran|Nagari Lipi Parishad


Demystifying the Origin of Tharus|Dr Ajay Kumar Ojha| Tharus of West Champaran|Nagari Lipi Parishad




Three books on the Tharus of West Champaran of Bihar authored by me have been published, namely
1. From Pasturization to Pauperization of the Tharus
2. Wonderful Tharu Tribe, Alluring Tharuhat and Charming Champaran
3. Demystifying the Origin of Tharus
In this video we can find the review of the book "Demystifying the Origin of Tharus" with special reference to the Tharus of West Champaran. The book has been reviewed by
a. Dr Premchand Patanjali, Former Vice Chancellor and President of Nagari Lipi Parishad
b. Shri Arun Kumar Paswan, Author & Poet, and Joint Secretary of Nagari Lipi Parishad
c. Dr Hari Singh Pal, Author & Editor and General Secretary of Nagari Lipi Parishad
Video is of 5 mts duration only but you will be able to know about the book and its utility for the readers and researchers.









Sunday, August 24, 2025

‘‘नागरी संगम स्वर्ण जयंती विशेषांक’ (Golden Jubilee Special Edition of Nagari Sangam)

                                          ‘नागरी संगम स्वर्ण जयंती विशेषांक’ 

(Golden Jubilee Special Edition of Nagari Sangam)












अपनी व्यस्तता के बीच मुझे नहीं लग रहा था कि मैं ‘नागरी संगम  स्वर्ण जयंती विशेषांक’ पर अपनी टिप्पणी दे पाऊँगा । पर यह पत्रिका जो पुस्तकाकार रूप धारण कर ली है मुझे बारम्बार किसी प्रेयसी की तरह किसी प्रियतमा की तरह अपनी ओर आकर्षित करती रही - अपनी वेशभूषा से, अपनी  साज-सज्जा से, अपनी सजावट-बनावट से।  कितना सुंदर है इसका परिधान और कितना सुंदर इसका आवरण ! मैं खींचा चला आया इसकी ओर, न जाने कैसे - अनायास, अचानक, अकस्मात्। 


अब मैं अपनी इस प्रेयसी-पुस्तक  के बारे में कुछ कहने को बैठ गया हूँ।  लेकिन ये मत सोचिए कि इसके अनुपम सौन्दर्य के प्रभाव में इसकी अनुचित एवं असत्य प्रशंसा करुँगा।  नहीं, कभी नहीं।  वैसे ये पुस्तक है ही प्रशंसा के लायक। आप मानें या न मानें।  आप चाहें या न चाहें। देखने में सुंदर तो है ही, स्पर्श करने में अत्यंत कोमल व मुलायम।  


और इसके घटक या अवयव।  52 हैं।  और सब एक से बढ़कर एक। सब नागरी लिपि के बारे  में। उसके इतिहास के बारे में, उसके वर्तमान के बारे में और उसके भविष्य के बारे में भी। और हाँ उसके उद्देश्य के बारे में, उसकी उपादेयता के बारे में, राष्ट्रीय एकता तथा विश्व-लिपि के रूप में उसकी भूमिका के बारे में, उसकी वैज्ञानिकता के बारे में, उसकी जननी के बारे में । फिर नागरी लिपि परिषद् (Nagari Lipi Parishad) के बारे में - जो अपनी स्थापना की स्वर्ण जयंती मना  रहा है।  और ये तो सर्वविदित ही है कि 1975 में आचार्य विनोबा भावे की सत्प्रेरणा से इस परिषद् की स्थापना हुई थी नागरी लिपि के प्रचार प्रसार हेतु । 

 

इस पुस्तक में नागरी लिपि परिषद् का संक्षिप्त परिचय भी है, उसका इतिहास भी, उसकी गतिविधियाँ भी, उसके पदाधिकारियों के विवरण भी  और हाँ परिषद् का लेखा-जोखा भी ताकि पारदर्शिता बनी रहे। और यही नहीं परिषद् द्वारा आयोजित नागरी लिपि कार्यक्रमों का विवरण भी - नागरी लिपि परिषद् द्वारा जो पुरस्कार दिए जाते हैं उनका विवरण भी, नागरी लिपि के प्रचार प्रसार के लिए जो प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं उनका विस्तृत विवरण भी, अंतर भारती के अंतर्गत विभिन्न भाषाओं (देश की और विदेश की भी) को नागरी लिपि में कैसे लिखा जाए उनके उदाहरण भी, नागरी लिपि परिषद् द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका ‘नागरी संगम’ का सिंहावलोकन भी।  


और यही नहीं समाचार पत्रों के क्लिप्पिंग्स भी, दुर्लभ चित्रों के माध्यम से नागरी लिपि परिषद् का रंगीन सचित्र इतिहास भी, परिषद् की रंगीन सचित्र गतिविधियॉं एवं उप्लब्धियाँ भी, ‘नागरी संगम’ पत्रिका में प्रख्यात और दिग्गज नागरी लिपि विद्वानों और प्रेमियों के पूर्व प्रकाशित आलेखों का पुनः प्रस्तुतीकरण भी, और भारत सरकार में शिक्षा  मंत्री माननीय धर्मेन्द्र प्रधान का शुभकामना संदेश  भी  और साथ ही केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी का संदेश भी।     


तो कहने का तात्पर्य है कि क्या नहीं समाहित है इस ‘नागरी संगम स्वर्ण जयंती विशेषांक’ में। नागरी लिपि और नागरी लिपि परिषद् का एक गज़ब का दस्तावेज़ है यह, एक अद्भुत प्रलेख है अभिलेख है।  सभी नागरी लिपि प्रेमियों एवं सेवियों के लिए भगवद्गीता की तरह अवश्यमेव पठनीय ही नहीं संग्रहणीय सामग्री है यह विशेषांक। 


इस  अद्भुत “नागरी संगम स्वर्ण जयंती विशेषांक” के लिए  बेहिचक, बेसंकोच  और बेझिझक ताली तो बनती ही है। तो संपादक-मण्डल के अध्यक्ष डॉ. प्रेमचंद पातंजलि  और प्रधान संपादक डॉ. हरिसिंह पाल को, उनके कर्मठ, निष्ठावान  और समर्पित  टीम के साथ, अपार, असीम, अनंत बधाई एवं शुभकामनाएँ।   

“जय नागरी, जय भारती”



सधन्यवाद।   


डॉ. अजय कुमार ओझा

(Dr. Ajay Kumar Ojha) 


Thursday, August 21, 2025

Bharatiya Kshetriya Patrakar Sangh | Sanatan Shodh Sansthan | New Delhi | Rashtriya Sikh Sangat


Bharatiya Kshetriya Patrakar Sangh | Sanatan Shodh Sansthan | New Delhi | Rashtriya Sikh Sangat


Dr Ajay Kumar Ojha received "Patrakarita Ratna Samman" 




Tuesday, August 19, 2025

एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन " नागरी लिपि : वैश्विक स्तर पर प्रभाव और स्वीकार्यता"

 

एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन " नागरी लिपि : वैश्विक स्तर पर प्रभाव और स्वीकार्यता"



19 अगस्त 2025 को शेवलियेर टी. थॉमस एलिज़ाबेथ महाविद्यालय, (Chevalier T. Thomas Elizabeth College for Women, Chennai Tamil Nadu) और नागरी लिपि परिषद् (Nagari Lipi Parishad) नई दिल्ली, तमिलनाडु शाखा चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में  एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन (One Day International Conference) का आयोजन किया गया।  शीषर्क था " नागरी लिपि : वैश्विक स्तर पर प्रभाव और स्वीकार्यता"

यह सम्मेलन सुबह 10 से लेकर 2 बजे तक आभासी पटल पर आयोजित किया गया। 

बीच बीच में इंटरनेट के व्यवधान के बावजूद भी यह सम्मेलन  अपने उद्देश्यों की पूर्ति में पूर्णतः सफल रहा।  इस कार्यक्रम में देश-विदेश के नागरी प्रेमी और नागरी सेवियों  ने हिस्सा लिया।  युवा शोधार्थियों द्वारा बिना किसी हिचक व संकोच के पूरे आत्मविश्वास के साथ सहज तरीके से अपनी बातें रखना और वह भी एक अहिंदी प्रदेश से अत्यंत रोचक और प्रेरणादायी रहा।  ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नागरी लिपि और हिंदी भाषा के शोधार्थियों को नागरी लिपि परिषद् द्वारा अवसर प्रदान करना एक अत्यंत ही सराहनीय कदम  है।  

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे नागरी लिपि परिषद् के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल। विशिष्ट अतिथि थे वरिष्ठ रचनाकार एवं अध्यक्ष साझा संसार फाउंडेशन, नीदरलैंड्स डॉ. रामा तक्षक।  वक्ता थे :

डॉ. प्रेमचंद पातंजलि 

डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन 

डॉ. रश्मि चौबे 

 मैं यानी डॉ. अजय कुमार ओझा (Dr. Ajay Kumar Ojha) तो  इस कार्यक्रम से वैसे ही जुड़ा था एक श्रोता के रूप में, पर मुझे भी मुख्य अतिथि द्वारा अचानक आमंत्रित कर दिया गया अपने वक्तव्य देने के लिए।  मैंने भी बिना किसी पूर्वचिंतन के बिना किसी पूर्व तैयारी के अनायास ही अचानक ही अपने अनुभवों पर आधारित नागरी  लिपि के प्रचार-प्रसार और संवर्धन के लिए मेरे द्वारा  किये जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया।  और प्रयासों के अतिरिक्त बिहार के पश्चिम चम्पारण के थारू आदिवासियों  (Tharu Tribe of West Champaran) के बीच किए जा रहे प्रयासों की भी चर्चा की। 

किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर वक्तव्य देने का मुझे सुअवसर प्राप्त हुआ इसके लिए मैं नागरी लिपि परिषद् का आभारी हूँ। अपनी व्यस्तताओं के चलते वैसे मैं बहुत काम ही आभासी पटल पर हो रहे कार्यक्रमों से जुड़ पाता हूँ।  

इस कार्यक्रम का संचालन भी सराहनीय तथा प्रशंसनीय था।  बिना झिझक यह कहा जा सकता है कि यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बड़ा ही रोचक था और बड़ा ही सूचनात्मक।  








डाॅ. अजय कुमार ओझा स्वर्ण जयंती नागरी सम्मान से सम्मानित (Swarn Jayanti Nagari Samman to Dr. Ajay Kumar Ojha)

डाॅ. अजय कुमार ओझा स्वर्ण जयंती नागरी सम्मान से सम्मानित




 18 अगस्त 2025 को दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज महाविद्यालय में आयोजित नागरी लिपि परिषद के भव्य स्वर्ण जयंती समारोह में डाॅ. अजय कुमार ओझा (Dr. Ajay Kumar Ojha) को नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन में सक्रिय तथा विशिष्ट योगदान के लिए स्वर्ण जयंती नागरी सम्मान (Swarn Jayanti Nagari Samman)से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर डाॅ अजय कुमार ओझा द्वारा नागरी लिपि के स्वर्णिम सफर पर तैयार की गई लघु वीडियो फिल्म को भी प्रदर्शित किया गया । इस वीडियो फिल्म का आलेख एवं पार्श्व स्वर जानी-मानी समाचार वाचिका-उद्घोषिका रत्ना पाण्डेय का है । नागरी लिपि परिषद पर बनाई गई ‌इस वीडियो फिल्म की भूरि भूरि प्रशंसा हुई।

इस सम्मान से‌ संबंधित कुछ ‌चित्रों के साथ आपको छोड़े जा‌ रहा हूं।

















नागरी लिपि परिषद का स्वर्ण जयंती समारोह (Golden Jubilee Celebrations of Nagari Lipi Parishad)


नागरी लिपि परिषद का स्वर्ण जयंती समारोह 

(Golden Jubilee Celebrations of Nagari Lipi Parishad)



 



आचार्य विनोबा भावे की सत्प्रेरणा से स्थापित नागरी लिपि परिषद का स्वर्ण जयंती समारोह दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थित हंसराज महाविद्यालय के पद्मभूषण ज्ञान प्रकाश चोपड़ा संगोष्ठी कक्ष में 18 अगस्त को बहुत धूमधाम से मनाया गया।

इस शुभ अवसर पर देश-विदेश के प्रख्यात साहित्यकार-रचनाकार-शिक्षाविद-नागरी लिपि सेवी व्यक्तिगत रूप से तथा आभासी रुप से इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में‌ सम्मिलित हुए।

इस समारोह में नागरी लिपि परिषद की मुख-पत्रिका "नागरी संगम" के स्वर्ण जयंती विशेषांक का लोकार्पण किया गया । इस विशेषांक में प्रख्यात और दिग्गज नागरी लिपि विद्वानों और प्रेमियों के पूर्व प्रकाशित आलेखों को पुनः प्रस्तुत किया गया है । परिषद के कार्यों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है ।

इस प्रतिष्ठित व ऐतिहासिक समारोह में "नागरी लिपि के स्वर्णिम सफर" पर एक लघु वीडियो फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया । साक्षात्कार व संपादन के साथ साथ इस फिल्म की प्रस्तुति डाॅ. अजय कुमार ओझा की थी। आलेख एवं पार्श्व स्वर था रत्ना पाण्डेय का।
इस ऐतिहासिक समारोह में नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में अपने को समर्पित करने वाले नागरी लिपि सेवियों को स्वर्ण जयंती सम्मान से सम्मानित किया गया।

मंच पर उपस्थित थे :
श्री राम चन्द्र राही (अध्यक्ष, केन्द्रीय गांधी स्मारक निधि)
डॉ. प्रेमचंद पातंजलि (अध्यक्ष, नागरी लिपि परिषद)
डाॅ. हरिसिंह पाल (महामंत्री, नागरी लिपि परिषद)
डाॅ. किरण हजारिका
श्री गोपाल बघेल (कनाडा)

इस समारोह का सफल आयोजन हंसराज महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रमा शर्मा के सहयोग के बिना‌ संभव नहीं ‌था ।

अतिथियों के आगमन और दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत रायपुर से पधारीं डॉ. मुक्ता कौशिक ने नागरी वंदना प्रस्तुत की। नागरी लिपि के कोषाध्यक्ष आचार्य ओम प्रकाश ने नागरी लिपि के लक्ष्य एवं उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। नागरी संगम विशेषांक की समीक्षा श्री अरुण कुमार पासवान और डॉ. इस्पाक अली ने की। आभासी पटल पर नागरी लिपि सेवियों को जोड़ने की भूमिका डॉ. रश्मि चौबे ने निभाई।

कुल मिलाकर नागरी लिपि परिषद का यह स्वर्ण जयंती समारोह अत्यंत सफल रहा ।
इस समारोह के कुछ चित्रों के साथ आपको छोड़ जा रहा‌ हूं।
बहुत बहुत धन्यवाद।