Tuesday, September 30, 2025

मां दुर्गा की उपासना का पर्व नवरात्रि

 

मां दुर्गा की उपासना  का पर्व नवरात्रि 


भारत पर्वों का देश है। यहाँ प्रत्येक मौसम और ऋतु के अनुसार कोई न कोई त्यौहार-पर्व-उत्सव  मनाया जाता है। ये पर्व केवल धार्मिक आस्था से ही नहीं जुड़े होते, बल्कि समाज में भाईचारे, सद्भाव और एकता का संदेश भी देते हैं। इन्हीं पर्वों में नवरात्रि का विशेष स्थान है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है - चैत्र नवरात्रि तथा शारदीय नवरात्रि, और पूरे भारत में अत्यंत श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। "नवरात्रि" का अर्थ है "नौ रातें", जो पूरी तरह देवी माँ को समर्पित होती हैं।

हिन्दू धर्मग्रंथों में नवरात्रि का विशेष वर्णन मिलता है। इस पर्व पर माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ये नौ रूप इस प्रकार हैं  - 

 1.शैलपुत्री

2. ब्रह्मचारिणी

3. चंद्रघंटा

4.कूष्मांडा

5.स्कंदमाता

6.कात्यायनी

7.कालरात्रि

8. महागौरी

9. सिद्धिदात्री

मान्यता है कि इन नौ रूपों की आराधना करने से भक्त को शक्ति, बुद्धि, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

नवरात्रि की कथा महिषासुर राक्षस से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि महिषासुर  ने अत्याचार कर देवताओं को परास्त कर दिया था। तब सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को मिलाकर माँ दुर्गा की रचना की। माँ दुर्गा ने नौ रातों तक युद्ध किया और अंततः दसवें दिन महिषासुर का वध किया। यही कारण है कि नवरात्रि के बाद दशहरा मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

नवरात्रि केवल पूजा-पाठ का ही पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज और संस्कृति को जोड़ने वाला भी है।

  • गुजरात और महाराष्ट्र में गरबा और डांडिया के नृत्य होते हैं, जहाँ लोग रात भर एकत्र होकर भक्ति और आनंद में झूमते हैं।

  • उत्तर भारत में इन दिनों रामलीला का मंचन होता है, जिसमें भगवान राम की कथा प्रस्तुत की जाती है।

  • दक्षिण भारत में लोग घरों में गोलू (गुड़िया सजाने की परंपरा) करते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

इन गतिविधियों से समाज में एकता, प्रेम और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की भावना मजबूत होती है।

नवरात्रि आत्मशक्ति और आत्मसंयम का भी पर्व है।

  • लोग इन दिनों उपवास रखते हैं और सात्त्विक भोजन ग्रहण करते हैं।

  • उपवास से शरीर की शुद्धि होती है और पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है।

  • आध्यात्मिक दृष्टि से उपवास मन को संयमित करता है और भक्ति में एकाग्रता लाता है।

  • यह पर्व हमें सिखाता है कि भौतिक इच्छाओं पर नियंत्रण रखकर भी जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।

वरात्रि स्त्रीशक्ति का उत्सव है। माँ दुर्गा का प्रत्येक रूप महिला की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि समाज में नारी का सम्मान करना आवश्यक है, क्योंकि वही शक्ति, करुणा और संरक्षण की मूर्ति है। नवरात्रि के माध्यम से समाज में मातृशक्ति की महिमा का गुणगान किया जाता है।


आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में लोग धीरे-धीरे अपनी परंपराओं और संस्कारों से दूर हो रहे हैं। ऐसे में नवरात्रि जैसे पर्व हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को सुदृढ़ करता है, बल्कि परिवार और समाज को भी एक साथ जोड़ता है। आधुनिक युग में भी नवरात्रि का महत्व कम नहीं हुआ है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में और अधिक लोकप्रिय हो गया है।


नवरात्रि का पर्व हमें यह सिखाता है कि चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, यदि हम धैर्य, संयम और भक्ति के साथ आगे बढ़ें तो विजय निश्चित है। यह पर्व शक्ति, श्रद्धा, भक्ति और मातृशक्ति का प्रतीक है। नवरात्रि हमें जीवन में नई ऊर्जा, साहस और सकारात्मक सोच प्रदान करती है। इसलिए नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की प्रेरणा है।

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