Monday, June 30, 2025

Three Books on Tharus of West Champaran Presented to a Tharu (Professor in IIT Delhi)

 

थारू जनजाति पर तीन पुस्तकें थारू जनजाति के आई आई टी दिल्ली के  प्रोफेसर को भेंट 





मुझे थारु भाइयों ‌से मिलना‌, उनसे‌ बातें‌ करना, उनकी ‌बातें सुनना बहुत ही अच्छा लगता‌ है। लगता‌ है किसी बिलकुल अपने‌ से‌ मिल रहा‌ हूं जिससे‌ जन्म जन्म का‌ रिश्ता‌ हो। इस‌ अद्भुत व‌ विशेष‌ संबंध को‌‌ मैं परिभाषित नहीं कर सकता, शब्दों‌ में‌ अभिव्यक्त भी नहीं कर सकता। बस‌ अनुभव करता‌ हूं।

आज‌ भी मिलने का सुअवसर मिला अपने‌ एक‌ थारु भाई‌ से। दिल्ली के आई आई टी कैम्पस‌ में । इनको मैं‌ जानता तो‌ हूं 2012 से पर पहली बार मिल पाया 31 मार्च‌ 2023‌ को। मैंने‌ उनका साक्षात्कार भी‌ लिया था और अपने‌ यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड भी‌‌ किया था ।
मेरे‌ ब्लॉग पर थारुओं के बारे में जानकारी और‌ सूचना पाकर वे इतने उत्साहित थे कि उन्होंने मुझे मेल किया नेदरलैंड‌ से 8 अगस्त 2012 को, और कहा कि जितनी जानकारी आप पश्चिम चम्पारण के थारुओं ‌के‌ बारे में‌‌ रखते हैं उतनी जानकारी तो‌ मुझे भी‌ नहीं‌ है। बस उसी साल से‌ हम एक दूसरे के‌ सम्पर्क में‌ आए।
पर पहली‌‌ बार ‌मिलना हुआ 2023 में और 29 जून 2025 को दूसरी बार। मैंने‌ ही उनको फोन‌ किया और कहा कि मैं‌ मिलना चाहता हूं आपसे और पश्चिम चम्पारण के थारु आदिवासी से संबंधित अपनी तीन पुस्तकें आपको भेंट‌ करना चाहता‌ हूं। उनको कल एक पेपर प्रेजेंट करना‌ है फिर भी उन्होंने मिलने से मुझे मना‌ नहीं किया। शाम को‌ पांच‌ और छह‌ बजे के बीच का‌ समय तय हुआ। उस समय बारिश हो‌‌ रही थी फिर ‌भी‌ मैं‌ बस‌ से निकल गया उनसे मिलने। तय समय पर तय जगह‌ पर । वो भी मेरी‌ प्रतीक्षा कर रहे‌ थे, बारिश हो‌‌ रही थी मेरा शरीर भींग रहा था, साथ‌ ही भावुकता में मेरे नयन‌ भी अश्रु से।
मुलाकात हुई, बात भी हुई, विचारों का आदान-प्रदान भी‌ हुआ, साथ ही‌‌ अपनी‌ भावनाओं का‌ भी।‌ मैने अपनी तीन पुस्तकें उनको भेंट‌ कीं । वे अति‌ प्रसन्न ‌हुए। कहा‌ कि पुस्तक छपवाने‌ में आपका काफी पैसा खर्च‌ हुआ होगा, मैं‌ पेमेंट कर देता‌ हूं। पर मैंने विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया।
अरे मैंने तो आपको परिचय‌ ही‌ नहीं‌ कराया इस व्यक्तित्व से। आइए आपको बताते हैं‌ इनके‌ बारे‌ में‌। इनका‌ नाम है डाॅ. जितेन्द्र प्रसाद खतइत । ये आई आई टी दिल्ली में‌ एसोसिएट प्रोफेसर हैं मेकानिकल इंजीनियरिंग में । नेदरलैंड से इन्होंने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की‌ है और बहुत अच्छे कलाकार भी‌ है क्योंकि बहुत अच्छी पेंटिंग करते हैं । ये संभवतः पश्चिम चम्पारण की थारु जनजाति से इंजीनियरिंग में‌ पहले डाक्ट्रेट हैं।
तो‌ अब दीजिए अनुमति, और आपको छोड़े जा रहा‌ हूं मधुर पलों‌ के कुछ मधुर चित्रों‌ के साथ।

धन्यवाद।






























Wednesday, June 25, 2025

Ruins of Kumhrar|Ancient Patliputra|Ashoka the Great |Chandragupt Maurya | Megasthenes| Iran| Patna

Ruins of Kumhrar|Ancient Patliputra|Ashoka the Great |Chandragupt Maurya | Megasthenes| Iran| Patna







Satya Sanatan Book | Acharya Rabindra Nath Ojha | Dr Ajay Kumar Ojha | Anuradha Prakashan | Delhi


Satya Sanatan Book | Acharya Rabindra Nath Ojha | Dr Ajay Kumar Ojha | Anuradha Prakashan | Delhi








Pride of Patna|J.P. Ganga Path|Patna Marine Drive| Atal Path |Decongesting Patna | Beautifying Patna


Pride of Patna|J.P. Ganga Path|Patna Marine Drive| Atal Path |Decongesting Patna | Beautifying Patna








जे. पी. आंदोलन तथा आपातकाल के सेनानी आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा (MISA Arrestee Acharya Rabindra Nath Ojha )

 जे. पी. आंदोलन (J P Movement) तथा आपातकाल (Emergency) के

सेनानी आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा

(Acharya Rabindra Nath Ojha)


25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा भारत में आपातकाल लागू करना लोकतंत्र के लिए सबसे काला अध्याय है। इस घटना की 50वीं वर्षगांठ हमें तानाशाही के ख़तरों के साथ साथ उसके दुष्परिणाम की याद दिलाती है। इस घटनाक्रम में हमारा पूरा परिवार ही अस्त व्यस्त, परेशान दुखित, बेबस लाचार हो गया था - मानसिक व आर्थिक रुप दोनों तरह से ।

प्रभुराज नारायण राय के अनुसार जे.पी.आंदोलन के दौर में छात्र -आंदोलन का मार्गदर्शन व नेतृत्व करने का काम आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा ने किया। वे एम. जे. के महाविद्यालय शिक्षक संघ के सचिव भी थे । छात्र आंदोलन के क्रम में ही उन्हें गिरफ्तार कर बेतिया जेल भेज दिया गया । वहां महीनों उन्हें जेल में रहना पड़ा । जेल में रहने के कारण घर-परिवार में जबरदस्त आर्थिक तंगी आ गई थी जिसके चलते नयी गंजी खरीदने में भी वो असमर्थ थे। ऐसे कठिन समय को भोगने का तथा उससे अपने‌ को उबारने का साहसिक अनुभव मुझे उनके साथ प्राप्त हुआ।
"विप्रा : बहुधा वदन्ति" रवीन्द्रनाथ ओझा के व्यक्तित्व का बहुपक्षीय आकलन करती हुई एक अद्भुत पुस्तक है। इस पुस्तक में एडवोकेट राजेश्वर प्रसाद के कथनानुसार आचार्य ओझा लोकनायक जयप्रकाश आंदोलन की अगुवाई अपने हाथ में ले चुके थे। शहर में नुक्कड़ सभा, चौराहों पर अनशन, धरना आदि कार्यक्रम चलने लगा। ऐसे ही समय में एक दिन अचानक आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा शहर के प्रसिद्ध भोला बाबू चौक पर अनशन पर आ बैठे। आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका से पूरे जिले में एक नई क्रान्ति पैदा हो गयी। इसी‌ क्रम में ओझा जी की बेतिया में मीसा (Maintenance of Internal Security Act) के अन्तर्गत गिरफ्तारी हुई और उसके प्रथम गिरफ्तार व्यक्ति ओझा जी थे। बेतिया जेल में ओझा जी का करीब डेढ़ महीना बीत चुका था । सावन‌ के महीने में बेतिया कौन कहे पूरा चम्पारण बाढ़ की चपेट में आ गया, जेल में पानी भर गया कैदियों को कहीं अन्यत्र ले जाने की नौबत आ गयी। मीसा बन्दी बहुत ही खतरनाक श्रेणी में आते थे। उनका जेल स्थानान्तरण किया गया और पुलिस वान में बैठाकर किसी तरह मोतिहारी जेल में भेजा गया। करीब पन्द्रह दिन मोतिहारी कारागार में बीता होगा कि ओझा जी की रिहाई की खबर आई।
इस बीच आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा को M.J.K College से सस्पेंड कर दिया गया। घर चलाना मुश्किल हो गया । हम दो भाइयों के स्कूल का फीस देना मुश्किल हो गया। मकान मालिक घर से निकालने की धमकी देने लगा। सभी अपने पराए हो गए। विपरीत परिस्थितियों में अपनों‌ का साथ भी‌ छूट जाता है। सभी तानें देने लगे। इन सब तनाव व परेशानी के बावजूद मैट्रिक की परीक्षा में मैं प्रथम श्रेणी में‌ बहुत अच्छे अंक के साथ उत्तीर्ण हुआ। मेरा एडमिशन संत जेवियर कॉलेज रांची और पटना साइंस काॅलेज दोनों में हो रहा था, जो सभी का सपना होता है, पर ऐसी परिस्थिति में बाहर जाना असम्भव था। मां को सम्भालना था, छोटे भाई को भी देखना था। कम उम्र में ही मेरे ऊपर परिवार की जिम्मेदारी थी। खैर।
मेरे बाबूजी को बिहार सरकार द्वारा आज तक जे.पी. सेनानी सम्मान से सम्मानित नहीं किया गया जबकि मैंने कई बार बिहार सरकार को मेल भी किया था । बेतिया, चम्पारण से मीसा में सबसे पहले गिरफ्तार होने वाले मेरे बाबूजी आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा अब इस दुनिया में नहीं हैं पर इस सम्मान के वे हकदार तो थे‌ ही। इस सम्मान के मिलने से‌ उनकी आत्मा को शांति मिलती।
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर बाबूजी की याद आना स्वाभाविक है, और जो असहनीय कष्ट व वेदना हमलोगों ने झेलीं उस काले कालखंड‌ में, उसको स्मरण कर आज भी घबड़ाहट और बेचैनी होने लगती है।
एक बात और कहना चाहूंगा। कुछ दिन जेल में रहकर उस समय कुछ लोग केंद्र में और राज्य में मंत्री बन गए। परन्तु आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा को यह स्वीकार नहीं था। महीनों मीसा (MISA) में गिरफ्तार होने के बावजूद भी उन्होंने किसी पद व प्रतिष्ठा व पुरस्कार के लिए याचना नहीं की।
जे.पी आंदोलन व आपातकाल के सेनानी आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा को नमन, शत शत नमन।

















Sunday, June 22, 2025

Triveni Prasad Dubey| Education Department| Bihar Government| Patna | Acharya Rabindra Nath Ojha


Triveni Prasad Dubey| Education Department| Bihar Government| Patna | Acharya Rabindra Nath Ojha




Books Donated | Acharya Rabindra Nath Ojha| Dr Ajay Kumar Ojha| Shri Naval Kishore Sinha College

Books Donated | Acharya Rabindra Nath Ojha| Dr Ajay Kumar Ojha| Shri Naval Kishore Sinha College




Siddha Peeth|MaaDurga Temple|Bhangaha Sthan| Chanpatiya|West Champaran|Bihar| Bettiah-Mainatanr Marg

Siddha Peeth|MaaDurga Temple|Bhangaha Sthan| Chanpatiya|West Champaran|Bihar| Bettiah-Mainatanr Marg





Fakirana Mission School | Sacred Heart High School | Banuchhapar | Bettiah | West Champaran| Bihar


Fakirana Mission School | Sacred Heart High School | Banuchhapar | Bettiah | West Champaran| Bihar






Banuchhapar|Bettiah|Childhood Days |Dr Ajay Kumar Ojha|Acharya Rabindra Nath Ojha|Dr Susheela Ojha

Banuchhapar|Bettiah|Childhood Days |Dr Ajay Kumar Ojha|Acharya Rabindra Nath Ojha|Dr Susheela Ojha






Acharya Rabindra Nath Ojha| Manoj Kumar | Environmentalist | K R School | M J K College | Bettiah

Acharya Rabindra Nath Ojha| Manoj Kumar | Environmentalist | K R School | M J K College | Bettiah






From Pasturization to Pauperization of Tharus | Wonderful Tharu Tribe|Dr Ajay Kumar Ojha| Ramnarayan

From Pasturization to Pauperization of Tharus | Wonderful Tharu Tribe|Dr Ajay Kumar Ojha| Ramnarayan





Tharu Tribe|West Champaran|Tharu Children| Bakhari Bazar|Ramnagar|Education & Cleanliness Awareness


Tharu Tribe|West Champaran|Tharu Children| Bakhari Bazar|Ramnagar|Education & Cleanliness Awareness






Digital Study Point Library | Bal Krishna Mahto | Harnatanr | Mishrauli | Tharuhat | West Champaran

Digital Study Point Library | Bal Krishna Mahto | Harnatanr | Mishrauli | Tharuhat | West Champaran




Handloom|Tharu Women Entrepreneurs| Mishrauli|Harnatanr|Tharuhat|West Champaran| Bihar| Rukmini Devi


Handloom|Tharu Women Entrepreneurs| Mishrauli|Harnatanr|Tharuhat|West Champaran| Bihar| Rukmini Devi





Lal Babu Sharma|Student of Acharya Rabindra Nath Ojha | Wordsworth|Daffodils |M J K College| Bettiah

Lal Babu Sharma|Student of Acharya Rabindra Nath Ojha | Wordsworth|Daffodils |M J K College| Bettiah





Aasan Pranayam in Long & Wide Agricultural Field | Badaka Singhanpura|Acharya Rabindra Nath Ojha


Aasan Pranayam in Long & Wide Agricultural Field | Badaka Singhanpura|Acharya Rabindra Nath Ojha






Separation of Maize(Baal) from Stalk | Dhanaipur Mauja | Badaka Singhanpura | Buxar | Bihar

Separation of Maize(Baal) from Stalk | Dhanaipur Mauja | Badaka Singhanpura | Buxar | Bihar




Thursday, June 5, 2025

Story of K.P.High School | Dumri | Simri | Dumraon| Badaka Singhanpura| Acharya Rabindra Nath Ojha

Story of K.P.High School | Dumri | Simri | Dumraon| Badaka Singhanpura| Acharya Rabindra Nath Ojha





K.P. High School | Dumri | Simri | Buxar | Bihar | Acharya Rabindra Nath Ojha | Badaka Singhanpura

K.P. High School | Dumri | Simri | Buxar | Bihar | Acharya Rabindra Nath Ojha | Badaka Singhanpura






Promising Children of Badaka Singhanpura | Buxar | Bihar | Wrestling | High Jump

Promising Children of Badaka Singhanpura | Buxar | Bihar | Wrestling | High Jump






Maize Cutting | Dhanaipur Mauja | Badaka Singhanpura | Buxar | Bihar| Dr Ajay Kumar Ojha

Maize Cutting | Dhanaipur Mauja | Badaka Singhanpura | Buxar | Bihar| Dr Ajay Kumar Ojha





Kateya | Janera | 🌽 | Dhanaipur Mauja | Badaka Singhanpura| Dumri | Buxar | Bihar

Kateya | Janera | 🌽 | Dhanaipur Mauja | Badaka Singhanpura| Dumri | Buxar | Bihar





Siddha Ashram | Badaka Singhanpura | Buxar |Bihar | Siddhanath Ojha | Acharya Rabindra Nath Ojha

Siddha Ashram | Badaka Singhanpura | Buxar |Bihar | Siddhanath Ojha | Acharya Rabindra Nath Ojha





Samhutiya Khet|Badaka Singhanpura| Buxar |Bihar | Bol Utha Khet Us Din | Acharya Rabindra Nath Ojha

Samhutiya Khet|Badaka Singhanpura| Buxar |Bihar | Bol Utha Khet Us Din | Acharya Rabindra Nath Ojha





Dahi | Curd | Badaka Singhanpura | Gancchi Dera | Dubauli - Dumri Road | Dr Ajay Kumar Ojha | Buxar

Dahi | Curd | Badaka Singhanpura | Gancchi Dera | Dubauli - Dumri Road | Dr Ajay Kumar Ojha | Buxar






Gancchi Dera | Badaka Singhanpura| Buxar | Centenarian & Still Active| Birbal Yadav| Siddhnath Ojha

Gancchi Dera | Badaka Singhanpura| Buxar | Centenarian & Still Active| Birbal Yadav| Siddhnath Ojha






Hum To Bhai Vishpayee Hain|Acharya Rabindra Nath Ojha | Raghunath Pur Village|Dumraon|Buxar | Bihar

Hum To Bhai Vishpayee Hain|Acharya Rabindra Nath Ojha | Raghunath Pur Village|Dumraon|Buxar | Bihar





Maa Kali Temple | Badaka Singhanpura | Buxar |Bihar|Acharya Rabindra Nath Ojha| Bol Utha Khet Us Din

Maa Kali Temple | Badaka Singhanpura | Buxar |Bihar|Acharya Rabindra Nath Ojha| Bol Utha Khet Us Din





Respect the Elders | Satya Sanatan | Belaur Village | Buxar | Bihar | Acharya Rabindra Nath Ojha

Respect the Elders | Satya Sanatan | Belaur Village | Buxar | Bihar | Acharya Rabindra Nath Ojha







Narendra Ojha | Acharya Rabindra Nath Ojha| Badaka Singhanpura | Buxar| Bihar |Bol Utha Khet Us Din

Narendra Ojha | Acharya Rabindra Nath Ojha| Badaka Singhanpura | Buxar| Bihar |Bol Utha Khet Us Din






Maize | Corn | Badaka Singhanpura Village | Buxar | Bihar | Acharya Rabindra Nath Ojha

Maize | Corn | Badaka Singhanpura Village | Buxar | Bihar | Acharya Rabindra Nath Ojha






Maize | Corn | Badaka Singhanpura Village | Buxar | Bihar | Acharya Rabindra Nath Ojha

Maize | Corn | Badaka Singhanpura Village | Buxar | Bihar | Acharya Rabindra Nath Ojha




Lama Monachile | Most Popular Beach in Apulia | South Italy | Bari | Polignano a Mare |Adriatic Sea


Lama Monachile | Most Popular Beach in Apulia | South Italy | Bari | Polignano a Mare |Adriatic Sea






Polignano a Mare | Adriatic Sea | Apulia | Bari | South Italy | Italy | Alberobello

Polignano a Mare | Adriatic Sea | Apulia | Bari | South Italy | Italy | Alberobello





Approaching Polignano a Mare | Polignano a Mare | Adriatic Sea | South Italy | Apulia | Bari

Approaching Polignano a Mare | Polignano a Mare | Adriatic Sea | South Italy | Apulia | Bari




The Trulli of Alberobello | UNESCO World Heritage Site | Alberobello | Bari | Apulia | South Italy

The Trulli of Alberobello | UNESCO World Heritage Site | Alberobello | Bari | Apulia | South Italy






Roma Termini | Leonardo da Vinci | Fiumicino Airport | International Airport | Italy | Rome


Roma Termini | Leonardo da Vinci | Fiumicino Airport | International Airport | Italy | Rome





View from Bridge | Near Venice Railway Station | Venice | Italy

View from Bridge | Near Venice Railway Station | Venice | Italy







Venezia S.Lucia | Venice Railway Station| Italy | Venice


Venezia S.Lucia | Venice Railway Station| Italy | Venice



Venezia S. Lucia | Venice| City of Lakes | Venice Station| Italy

Venezia S. Lucia | Venice| City of Lakes | Venice Station| Italy



Choumein In Air | Bari | Italy








Stornarella | Stornara | Village in Italy | Foggia | Apulia | South Italy

Stornarella | Stornara | Village in Italy | Foggia | Apulia | South Italy



Liberation Day | Italy | Stornarella | Apulia Region Foggia | Southern Italy | Stornara

Liberation Day | Italy | Stornarella | Apulia Region Foggia | Southern Italy | Stornara





Tuesday, June 3, 2025

Wind Power Generation | South Italy |Apulia | Campania | Sicily | Wind Farms | Wind Turbines| India


Wind Power Generation | South Italy |Apulia | Campania | Sicily | Wind Farms | Wind Turbines| India






Roma Termini | Rome | Italy | Grapes Farming | Wine | Foggia | South Italy | Puglia

Roma Termini | Rome | Italy | Grapes Farming | Wine | Foggia | South Italy | Puglia





मेरे बाबूजी की साईकिल - डॉ सुशीला ओझा (Dr Susheela Ojha )

 मेरे बाबूजी  की साईकिल




आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा की साईकिल 

(चित्र डॉ अजय कुमार ओझा के सौजन्य से) 



मेरे बाबूजी (आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा) की शादी इन्ट्रेस पास करके हुई। मामा के यहाँ बड़े सम्भ्रांत लोग थे। साईकिल उस समय स्टेटस की बात होती थी। मेरे गाँव बड़का सिंहनपुरा (जिला बक्सर)से डुमरी स्कूल पाँच छह किलोमीटर था। बाबूजी पैदल स्कूल जाते थे। जूता -चप्पल भी दुलर्भ चीज था। घर में मर्द लोग खड़ाऊँ पहनते थे और औरतें खरपा (चटाखी) पाँच छह किलोमीटर बाबूजी पैदल जाते थे। भरी दोपहरी में माथे पर अँगौछा ओढ़े बाबूजी बगीचा बगीचा से होकर स्कूल जाते थे। बरसात में तो मेरे यहाँ बाढ़ आ जाती थी लोग डेंगी से या पवँर कर स्कूल जाते थे। पानी कम होता तो जूता हाथ में रखकर स्कूल जाते थे। चमरौधा जूता पानी में पड़कर अपनी इहलीला समाप्त कर देता था। उस चमरौधै जूते को बड़ी प्रेम से तेल लगाकर रखा जाता था। गुस्सा होकर पैर ही काट लेता था। जूता प्रेमिका की तरह तुनकमिजाजी होता था। सो बाबूजी पैदल चलते ओर जूता को प्यार से हाथ में रखते। नई नवेली दुल्हन की तरह जूते का बड़ा आदर होता था

बाबूजी की शादी तय हुई सोनवानी (बलिया जिला) मिसिर लोग के गाँव में। बड़े सम्भ्रान्त लोग थे। उनके यहाँ दो हाथी था। चार घोड़े थे। हाथी हथिसार घोड़े घोड़सार बीस -पच्चीस गायें थीं। उस समय भैस का दूध पीना मोटा बुद्धि होना कहा जाता। बाबूजी की शादी हुई उस समय दस हजार रुपया दहेज तय हुआ। गाँव में तहलका मच गया। लड़के से पुछा गया। आपकी क्या मांग है । बाबूजी ने बड़ी प्रसन्नता से कहा -"घड़ी साईकिल और फाउन्टेन पेन " बाबूजी के जीवन का सपना। बडे दुख से पैदल जाकर पढ़ा था। शादी हुई मड़वे में दुल्हा बसिया खाने बैठे। उस समय शादी होने सिन्दूरदान होने में चार बज जाते थे। शुकवा तारि ध्रूवतारा, अरुंधती का दर्शन अखंड सौभाग्य की कामना में दिखाया जाता। खुला आँगन होता था। आसानी से कौवा बोलने के पहले सिन्दूरदान की रस्म पूरा हो जाती थी। बाबूजी मड़वे में बैठे अपनी माँग की कल्पना में डूब उतरा रहे थे । प्रतीक्षारत थे अब साईकिल कसा कर सामने आएगा। घड़ी फाउन्टेपन न भी मिले तो काम चल जाएगा। माने मेरी नई नवेली साईकिल रानी। मेरे जीवन की उत्कट अभिलाषा। बाबूजी की प्रतीक्षातुर आँखें एकटक से बगुले की तरह साईकिल के ध्यान में मग्न थी। विदाई हो गयी। दान-दहेज बहुत मिला गाँव जवार में हल्ला हो गया। सोनवानी के मिसिर लोग के यहाँ का दहेज है। लोग आश्चर्यचकित होकर देख रहे थे। लेकिन बाबूजी की सपनो की रानी नहीं मिली। बाबूजी उस सपने की रानी की प्रतीक्षा में कई दिन सोए नहीं थे। जब आँख लगे साईकिल टुनटुनाकर नींद खुल जाती।बाबूजी मन ही मन व्यग्र थे।मन ही मन क्रोध से आँखे लाल -पीली हो रही थी। क्या जरुरत थी? इतने दान-दहेज की?

दूसरे दिन मेरे बड़े नानाजी आकर बड़ी विनम्रता हाथ जोड़कर आँसुओं से पैर पखारते हुए मेरे बाबा से कहा -"हम लड़की वाले साधन हीन होते हैं। कोई हमारे स्वागत में कमी हो तो क्षमा कर दीजिएगा " बाबूजी को लग रहा था।अब नई नवेली साईकिल कसकर आएगी। बाबूजी का सपना अधूरा रह गया। साईकिल नहीं मिली। नानाजी बाबूजी जीके चरण फर साष्टांग गिर पड़े 'पाहुन जी भूल चुक माफ कीजिएगा। द्विरागमन में आपकी साईकिल कसवा कर भेजवा देंगें "आजतक साईकिल नहीं मिली। हमारे देहात में एक गीत गाया जाता है " हथिया हथिया सोर कइले गदहियो ना ले अइले रे । तोरा बहिन के सोटा मारो इज्जत सब लिहले रे " वही हाल हो गया। हाथी हथसार दुआर पर रहकर क्या फायदा ?असल में स़ंयुक्त परिवार था।हमारे नाना तीन भाई थे। परिवार में बारह लड़कियाँ थीं। एक को साईकिल देने का मतलब सबको देना था। परिवार में बड़ा भाई मुखिया होता था। उसके निर्णय को कोई नहीं टाल सकता था।


बाबूजी की पोस्टिंग शायद १९५६ में एम. जे.के कालेज हुई। सैलरी के पैसे से साईकिल , घड़ी खरीदा। वर्षों की प्रतीक्षा उनकी पूरी हुई। खूब झाड़ पोछकर साईकिल रखते थे। सबसे बड़ी बात थी कि गाँव में दहेज में बाबूजी से पहले किसी को साईकिल नहीं मिली थी। बड़ी इज्जत थी साईकिल की रोज तेल लगता था। बड़ी ठसक से कांँलेज जाते साईकिल पर। अरे अब कितना समय लगेगा बस पाँच मिनट में काॅलेज पहुँच जाएंगे। मेरा भी मन करता साईकिल पर घूमने की। बाबूजी ले जाते। मुझे अपने आगे साईकिल के पाईप पर बैठा देते। मेरी हालत खराब हो जाती। एक बार दो बार तो घूमने के जोश में मैंने कुछ नहीं कहा। जोश खतम होने होने लगा। साईकिल के आगे बैठने पर मेरे पैर में दर्द होने लगता था। बाजार जाना था बाबूजी ने कहा -चलो बेटा! घूमने साईकिल से । मैंने कहा "बाबूजी मैं बैठती हूँ, तो मुझे दर्द होने लगता है " बाबूजी को बात समझ में आयी। आगे छोटा सा मुलायम सीट लगवा दिया। कभी कभी बारिश होने लगती बाबूजी साईकिल को बाल्टी में पानी लेकर मग से धोते थे। पहले घर के सामने पानी लग जाता तो बाबूजी साईकिल उठाकर लाते। कहते पानी में साईकिल गराब हो जाएगी। बरसात कीचड़ में नहीं निकालते साईकिल। कहते साईकिल के पहिए में मिट्टी लग जाएगी।


बाबूजी की साईकिल नौकरी लगी तो खरीदी गई। अवकाश प्राप्त होने पर भी साईकिल बाबूजी की प्रतीक्षा करती। मेरा अपमान मतकीजिए रोज नहलाईए तेल लगाईए मैं चमकती रहूँगी । प्रकृति के पुजारी थे बाबूजी। साईकिल लेकर शहर से दूर कहीं तालाब पर बगीचे की सैर करने निकल जाते थे। बाद में डाॅ बाबूजी को साईकिल चलाना मना कर दिया। लेकिन बाबूजी साईकिल का रोज मान मनौवल करते। बेटा लोग कहता था --बाबूजी इस पुरानी साईकिल को किसी को दे दीजिए । स्कुटी ला रहा हूँ। बाबूजी कहते -"तुम्हारी माँ सौन्दर्य की देवी थी। आज बूढ़ी हो गई है तो मैं उसको छोड़ दूँगा" मेरी पहली कमाई की पहचान है साईकिल मैं जब तक जीवित रहूँगा मेरे सामने रहेगी। मेरे सपनों की रानी है। इसमें मेरा सम्पूर्ण अतीत वर्तमान समाया हुआ है । इतना बड़े सम्भ्रान्त परिवार में शादी हुई। उन सालों के पास साईकिल देने की सामर्थ्य नहीं थी। अपनी कमाई क्या चीज होती है? मैंने इस साईकिल से सीखा है। मेरा मान, मेरी पहचान, मेरा स्वाभिमान साईकिल है।


बाबूजी के दिवंगत होने पर बेटों ने साईकिल नहीं बेचा। दिल्ली से बड़े बेटे आते थे तो साईकिल को प्रणाम करते थे । साईकिल में बाबूजी की आत्मा है। कैसे -कैसे बाबूजी साईकिल की देख रेख करते थे। कितने लोग की साईकिल चोरी हो गई। बाबूजी की साईकिल में क्या खूबी थी कि किसीने छुआ नहीं। उनके दामाद (डाॅ बलराम मिश्रा ) की साईकिल दो तीन बार चोरी हो गई । जबकी साईकिल में ताला लगा था। चोर इतने होशियार थे कि साईकिल को कांधे पर चढ़ाकर आदर के साथ ले जाते थे।ं बाबूजी के शेष होने पर साईकिल की देख रेख में कमी आ गयी। मैंने कहा -"बाबूजी की पहली कमाई का प्रसाद है। रखे -रखे खराब हो जाएगा " एक दिन कबाड़ बेच रही थी। कबाड़़ वाला का लड़का बड़ी ध्यान से साईकिल को देख रहा था। कई बार उसे छुआ चलाया। उसके मन में ललक थी साईकिल की। पैसे के अभाव में साईकिल नहीं उपलब्ध हो रहा है। मुझे बाबूजी की बात याद आयी कैसे साईकिल के लिए तड़पते रह गए। यह लड़का भी चार किलोमीटर पैदल स्कूल जाता है। कड़ीधूप, बरसात, सर्दी में स्कूल जाता है। मैंने उस बच्चे को साईकिल दै दिया। बाबूजी जी की आत्मा को शान्ति मिली होगी।

आजकल सभी चीजों का दिवस मनाया जा रहा है।विलु्प्त हुई चीजों की याद में दिवस मनाया जारहा है। मदर्स डे फादर्स डे पता नहीं कितने डे धरती पर मनाए जा रहे हैं। पहले माँबाप का आदर होता था। सेवाशुश्रूषा होती थी। आदर सम्मान होता था। तो डे की बात नहीं होती थीं। जबसे माँ बाप का अपमान होने लगा है। वृद्धाश्रम बनने लगे हैं। बड़े बुजुर्गों के आदर सम्मान जैसी बातें विलुप्त होती जारही हैं। इसलिए डे की अवधारणाएं बनी हैं। साल भर पर भी माँ बाप कहाने वाले विलुप्त होने के कगार पर आए प्रजातियों के नाम पर कुछ मुर्गा मछली खा लिया जाय। धूम धाम से डे मना लिया जाय।

डॉ सुशीला ओझा बेतिया, प. चम्पारण


(डॉ सुशीला ओझा के फेसबुक वॉल से साभार)