भारत और ब्राज़ील ने गिर गाय प्रजनन (ब्रीडिंग) और वैदिक कृषि
में व्यापक बदलाव के लिए की नई सहभागिता
कृषि पद्धतियों में नई तकनीकों को शामिल कर इसे नए से परिभाषित करने और सस्टेनेबल पशुधन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हर भारत और ब्राज़ील ने एक नई सहभागिता की है। इस नई सहभागिता का उद्देश्य गिर गाय प्रजनन और वैदिक कृषि में वैश्विक क्रांति की शुरुआत करना है।
माननीय कार्लोस फेवरो, कृषि और पशुधन मंत्री, ब्राज़ील के नेतृत्व में एक हाई-प्रोफाइल ब्रज़ीलियन प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में भारत के हरियाणा में गिर अमृतफल गौशाला का दौरा किया। इस दौरान वैदिक कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कृषि साझेदारी को बढ़ावा देने और गिर और अन्य ज़ेबू गाय प्रजनन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करने पर आगे की रणनीति पर भी चर्चा की गई। दोनों देशों ने इस दिशा में नई रणनीति भी तय की है ।
गिर अमृतफल गौशाला (जिसे भारत के सबसे बड़े और सबसे एडवांस्ड गिर गाय फार्म के रूप में जाना जाता है) ने स्वदेशी गिर गाय की नस्ल और वैदिक कृषि के सिद्धांतों के संरक्षण और प्रचार के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और प्रशंसा प्राप्त की है। ब्राज़ीलियन प्रतिनिधिमंडल की यात्रा ने इस उल्लेखनीय प्रयास के वैश्विक महत्त्व पर प्रकाश डाला और इसकी ख्याति को और बढ़ाया है।
इस ऐतिहासिक अवसर के दौरान गिर अमृतफल के संस्थापक श्री मदन मोहन और श्री गेब्रियल गार्सिया, सीएलडी, प्रेजिडेंट ब्राज़ीलियन ज़ेबू ब्रीडर्स असोसिएशन - एबीसीज़ेड के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन ( MOU) पर हस्ताक्षर किया गया। यह समझौता भारत को गिर और अन्य ज़ेबू गाय प्रजनन के लिए प्राथमिक केंद्र के रूप में फिर से स्थापित करने की दृष्टि से गौशाला के परिसर के भीतर अत्याधुनिक, सबसे बड़ी और अपनी तरह की अनूठी आनुवांशिक प्रयोगशाला की स्थापना के लिए प्लेटफार्म तैयार करता है। यह रणनीतिक कदम गिर और अन्य ज़ेबू गाय की बढ़ती वैश्विक मांग के साथ पूरी तरह से मेल खाता है, जिससे भारत एक बार फिर ज़ेबू गायों का बड़ा वैश्विक केंद्र बन जाएगा। 15 एकड़ के विशाल क्षेत्र को कवर करने वाली जेनेटिक लैब में 2 मिलियन डॉलर का पर्याप्त निवेश होगा।
गिर अमृतफल गौशाला और ब्राज़ीलियन प्रतिनिधिमंडल के बीच सहयोग पशुधन प्रजनन और कृषि प्रकियाओं में एक नए युग की शुरुआत करता है, और श्री मदन मोहन का दृष्टिकोण इस क्षेत्र में भारत की प्रमुखता को बहाल करने का वादा करता है।
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