"भइया के मथवा पर दुतिया के चानवा" -डॉ सुशीला ओझा
भाई दूज विशेष (भोजपुरी)
डॉ सुशीला ओझा वरिष्ठ साहित्यकार, शिक्षाविद् व संस्कृतिकर्मी |
भइया के मथवा पर दुतिया के चानवा
उतारब.. .. शिवत्व से भराईब
माथवा..
भालवा पर लगाईब दही, रोली अक्षत वा के मंगल तिलकवा
लड़के यम से मांगब भइया के आयु.. यशवा, परतिष्ठवा..
दाहिन हाथ पुजब दहिया रो लिया राखब.. पान कसैलिया..
हाथवा पर राखब "बजड़ी दहिया के छलिया में" बजड़ होआईहे भइया के देहिया..
सातो अन्हरिया से लड़ि के रण जीति अइले भइया...
जानत बाड़े यम सती के परतातवा..
शापित भाई के छुए ही ना पावे ले.. युग युग जियस मोरा भइया..
अन्हरिया चीरिके भइया के बढ़ेला परतापवा..
बहिनी के प्रेम में पगा
गइले यम आवे ले आजु यमी के
दुआरिया...
भाई बहिना के प्रेम पवितरवा लड़ि आईली बहिनी यम के दुआरिया..
भइया के हाथे कवलवा मुह
शो भेला विरवा
सभवा बइठ ले भइया हमार
भउजो के बाढ़ो सिर के सेनुरवा..
गइया बाढ़ो, बाढ़ो बछरुआ
दूध, घी, दही, मुत्र, आउरी गोबरवा बनी पंचगव्य
होई शुभ अंगना दुअरवा
गईया के घिउवा के दियरा
जरा के भइया के करब
अरतिया..
युग युग जिय भइया..
माथवा पर सोभे दुतिया के चानवा, भालवा पर सोभे तिलकवा, हाथवा पुजि पुजि बहिनी देली आसिरवादवा... जिअहुं ए मोरा भइया
इ आसिरवादवा भइया के कवचवा..
बहिनी मनावे ली
भइया के मंगलवा..
युगे युगे जिय भईया तोहरा लागे बहिनी
के लागे उमरिया
डॉ सुशीला ओझा
बेतिया, प. चम्पारण
No comments:
Post a Comment