Saturday, October 11, 2014

WEST CHAMPARAN THARU ARTISTES IN MAURITIUS: THARU FOLK SONGS & DANCE - FROM PAROCHIALIZTION TO UNIVERSALIZATION

WEST CHAMPARAN THARU  ARTISTES IN MAURITIUS: 

THARU FOLK SONGS & DANCE - FROM PAROCHIALIZATION  TO UNIVERSALIZATION



  I have already raised the question of preservation of unique folk songs & dance of unique Tharu culture which has been neglected for decades, not only through  my research work submitted for PhD in Jawaharlal Nehru University " Pattern of Social Change among the Tharus of West Champaran in Bihar" (which has been result of my association with this wonderful community for almost over three decades)but also through my Blog dated  December 8, 2013. I have been always vigorously  raising the problems of Tharus of West Champaran also.


I am really happy to learn that a group of eleven artistes belonging to the Tharu tribe are going to showcase their dance skills during the six - day International Bhojpuri Conference staring from October 30 in Mauritius. The artistes would perform traditional "Jhamta" dance & an exhibition of Tharu culture and civilization would also be organized in that small but beautiful country situated in the Indian ocean. Over seven lakh Tharus staying in three blocks of West Champaran must be jubilant after getting this recognition.

Besides Tharus  from Bihar, delegation from across the world including Thailand, South Africa & Australia will be taking part in the international event thus giving the Tharus a world stage for demonstration of their unique, pristine, wonderful, marvellous, magnificent culture. Local culture really getting universalized.

THARU FOLK DANCE : "JHAMTA"

Tharu folk dance "Jhamta" is one of the most attractive, most captivating, most arresting, most lovely, most nice-looking dance of the innocent & beautiful Tharu women of West Champaran in Bihar.

This dance form does not wait for any special occasion. Whenever they are in mood of enjoyment, in mood of fun & rejoicing the Tharu women start dancing. It may be the period of joy after sowing or period of resting nights after reaping. It may be the occasion of any festival or marriage ceremony. "Jhamta" dance can make you dance,  can make you mad with joy, can make you hilarious, can drown you in the stream of music  even without any musical instrument.Who will not get enchanted by the captivating dance of charming & chirping beautiful Tharu women draped in colourful dress particularly sarees! The rhythm is spotless, sometimes slow sometimes fast, body movement also properly coordinated, movement of hand & leg alignment perfect, and above all the whole atmosphere becomes charged with chorus of clapping.

Hope "Jhamta" dance will get proper honour & recognition, lots of applaud, acclaim & admiration in Mauritius, long overdue on international stage.

   

My article of December 8, 2013 is reproduced below:

THARU FOLK SONGS (LOK GEET) OF WEST
CHAMPARAN: CRYING FOR PRESERVATION ?
थारू लोक गीत: आवश्यकता  संरक्षण की     

(सभी  चित्र IPR के अंतर्गत  हैं )  


संचार क्रांति और वैश्वीकरण के युग में भी हमारे देश  के बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं जो अविकसित हैं , उपेक्षित हैं 1  उसी में से एक क्षेत्र  है बिहार राज्य का पश्चिम चम्पारण जिला 1 यह धरती मुनिश्रेष्ठ वाल्मीकि, विदेह  जनक , भगवान बुद्ध , तीर्थंकर महावीर ,राजनीतिज्ञ  चाणक्य ,सम्राट अशोक ,राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ,उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल ,आचार्य विनोबा भावे , गीतकार गोपाल सिंह 'नेपाली ' ,प्रख्यात निबंधकार -कवि -समीक्षक - पत्रलेखक रवीन्द्र नाथ ओझा की विचरण भूमि  या कर्मभूमि  रही है 1 यह धरती वन सम्पदा तथा अन्न सम्पदा के मामले में भी काफी सम्पन्न रही है 1

पर दुःख की  बात है कि यहाँ की जनजातियाँ अभी भी  बदहाली की जिन्दगी गुजार  रही हैं 1 हम भूल जाते हैं कि ये जनजातियाँ प्राचीन काल से ही हमारी लोक संस्कृति की संवाहक  एवं धारक रही हैं 1हम भूल जाते हैं कि इनके भी अपने रीति -रिवाज  हैं , इनके भी गीत एवं नृत्य हैं , कला व संस्कृति है  - जो अपने आप में अनोखे हैं, अनुपम हैं, अदभुत हैं 1


Photo(c) Dr Ajay Kumar Ojha

चम्पारण के थारु जनजाति ( जो 2003  से  अनुसूचित जनजाति हो गए हैं ) की अपनी सभ्यता है , अपनी संस्कृति है, अपने गीत तथा लय हैं 1 किसी समय इनकी भी अपनी भाषा रही होगी पर आज तो इनकी भाषा भोजपुरी है जिसमें मैथिली तथा नेवारी का पुट है 1 इनकी बोली में मनमोहक मधुरता है जो भोजपुरी की अन्य शाखाओं में विरले ही पाया जाता है 1 



थारु जनजाति खेती-गृहस्थी से बचे हुए समय को नृत्य , गीत तथा वादन में व्यतीत करते हैं 1 इनके गीतों में हम इनके क्षेत्र तथा समाज का सुख-दुःख ,मान-अपमान ,शकुन -अपशकुन आदि का सजीव चित्रण देख सकते हैं 1 इनके गीत इनकी भूमि की उपज हैं , अपने में अनोखे व निराले हैं 1आइए देखते हैं अनुपम थारु लोकगीत के कुछ अंश :


१ 
"कौन जइहें हाजीपुर , कौन जइहें पटना 
से  कौन  जइहें ,     बेतिया  नोकरिया 1 
बाबा जइहें हाजीपुर ,भइया जइहें पटना 
    से  सइयाँ  जइहें ,  बेतिया     नोकरिया1"


२ 
"अइसन करमवा लिखि  देला रे 
                    लिखि  देला  बिपति  हमार1 
घाम के घमाईल गइली बिरिछ  तर रे ,
                          से हो बिरिछा भइले  पतझार 11 "   


"पुरुआ  त  बहले  पछ्वे  रे   ननदी ,
इरे गोरी  गोइठिया ना सुनुगे आग1 
मोरे  जिउआ  करइक दस मुठी रे , 
गोरिआ,कहमा बसे चित रे मोर 1"


४ 
"दूर हट ,कुकुरा रे ,दूर हट बिलरिया
दूर हटु ,   नगरी  क   लोगवा    त 
पिया मोर परदेश गइले हे 1 
न ही हली कुकुरा रे ,नाही हली बिलरिया,
खोल घनी बजर केवड़ियात 
पिया तोर लवट अइले हे 1"    

Photo(c) Dr Ajay Kumar Ojha



पर ये गीत इधर-उधर बिखरे पड़े हैं 1 थरुहट क्षेत्र में घोर अशिक्षा होने के कारण इनका सही तरीके से संकलन तथा मुद्रण नहीं हो पाया है 1 इसीलिए इनको संकलित करके सुरक्षित तथा संरक्षित करने की आवश्यकता  है 1 आवश्यकता है गहन शोध की  ताकि इस अमूल्य धरोहर को आगे  की पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखा जा सके अन्यथा कुछ वर्षों में इन लोक गीतों का धीरे - धीरे लुप्त होना निश्चित
 है 1 






  

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