Tuesday, February 4, 2025

विश्व पुस्तक मेला -2025 में नागरी लिपि संगोष्ठी, पुस्तक लोकार्पण और सम्मान समारोह

 विश्व पुस्तक मेला -2025  में नागरी लिपि संगोष्ठी, पुस्तक लोकार्पण और सम्मान समारोह


(Special Programme Organized by Nagari Lipi Paishad in World Book Fair 2025)





बसंत पंचमी के दिन 3  फरवरी 2025  को नागरी लिपि परिषद् और नेशनल बुक ट्रस्ट के तत्वावधान में  विश्व पुस्तक मेला में नागरी लिपि संगोष्ठी, पुस्तक लोकार्पण और सम्मान  समारोह का आयोजन किया गया।  यह कार्यक्रम भारत मंडपम  के हॉल नंबर 2 के लेखक मंच पर सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। 






कार्यक्रम की अध्यक्षता नागरी लिपि परिषद् के अध्यक्ष डॉ प्रेमचंद पातंजलि ने की।  इस अवसर पर नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में जुड़े कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। मुख्य अतिथि थे केंद्रीय हिंदी संस्थान  के निदेशक  डॉ सुनील कुलकर्णी। मंच पर आसीन अन्य विशिष्ट व्यक्ति थे - सुनील कुमार सिंह, डॉ शिवशंकर अवस्थी और नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल।  इसके साथ ही कई अन्य साहित्यकारों  एवं विद्वानों की उपस्थिति से इस कार्यक्रम की शोभा और बढ़ गई।  ऐसे विद्वानों में  उल्लेखनीय हैं डॉ अजय कुमार ओझा, आचार्य ओमप्रकाश, डॉ उमाकांत खुबालकर, डॉ किशोर कौशल, डॉ संदीप शर्मा, चितरंजन भारती, डॉ श्याम सुंदर कथूरिया, भूप सिंह यादव, सुमित राजोरा, नागरी लिपि परिषद् के पूर्व अध्यक्ष स्व. परमानंद पांचाल जी के पुत्र व पुत्रवधु। 






वक्ताओं ने निर्धारित विषय 'नागरी लिपि एवं पुस्तक संस्कृति' पर अपने अपने विचारों से श्रोताओं को अवगत कराया। साथ ही नागरी लिपि परिषद् की सक्रियता और सफलता पर भी प्रकाश डाला गया। कई पत्रिकाओं एवं पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया  यथा  नागरी लिपि परिषद् की पत्रिका  'नागरी संगम',  Authors Guild of India की पत्रिका 'Indian Author', पुस्तक "राम से बड़ा राम का नाम", पुस्तक "जय हिन्दी जय हिन्द", आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा की रचनाओं पर आधृत डॉ अजय ओझा की तीन पुस्तकें : "मैं गीध होना चाहता हूँ", सूअर बड़ा कि मैं", "छलके छलके नयानियाँ के कोर" । 














इस अवसर पर डॉ रश्मि चौबे को 'श्री परमानंद पांचाल स्मृति नागरी  सम्मान' से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री अरुण कुमार पासवान और डॉ रश्मि चौबे ने किया।  









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