Monday, August 15, 2016

A Tribute to Prof (Dr) Balram Mishra : A Great Professor, A Great Writer, A Great Scholar

A Tribute to Prof (Dr) Balram Mishra : 
A Great Professor, A Great Writer, A Great Scholar

Champaran Jewel Prof (Dr) Balram Mishra 


Prof (Dr) Balram Mishra 


Prof (Dr) Balram Mishra is one of the greatest personalities of Champaran Bihar India. He has been a great scholar of Hindi & Sanskrit. Prof Mishra retired as Head, Department of Hindi , M.J.K. College Bettiah, University of Bihar. He has been an alumni  of this college only.


Image result for Prof (Dr) Balram Mishra
Prof (Dr) Balram Mishra 

The life of Prof Balram Mishra has been a life full of struggle. He lost his father when he was a small child and had to leave his ancestral village due to obvious reasons. His mother took him to her father's village Musaharwa near Saathi fearing attack on his life.

Prof Mishra went through many ups and downs in his life but did not deviate from his objective. He  is PhD, DLitt. He has been married to Dr Sushila , daughter of Champaran Vibhuti Prof (Dr) Rabindra Nath Ojha. At the time of marriage Ms Sushila was just Matriculate but under his guidance and inspiration she did her MA and later PhD and became Head , Department of Hindi, Mahila Mahavidyalay, Bettiah West Champaran. 


Image result for Prof (Dr) Balram Mishra
Prof (Dr) Rabindra Nath Ojha & Prof (Dr) Balram Mishra

Prof ( Dr) Balram Mishra has been a very popular teacher, powerful orator and above all a perfect human being. He never compromised with the values of honesty and sincerity.  He has been an  epitome of goodness, embodiment of "Simple Living & High Thinking". He has been founder Secretary of Alok Bharti school of Bettiah and has been adorning different stages and fora as either Chief Guest or Chief Speaker.

Let us go through some of  his important publications: 


डॉ बलराम मिश्र 
एवं 
उनकी अनुपम साहित्यिक कृति 
का 
अद्भुत अनुभव 





प्रो (डॉ) बलराम मिश्र 



१.  हिंदी व्याकरण : समस्या और समाधान 
     प्रकाशन वर्ष :१९८२ 


लेखक के अनुसार  इस पुस्तक का उद्देश्य व्याकरण सम्बन्धी छात्रों के सम्मुख उपस्थित समस्याओं के समाधान का प्रयास है। छात्रों के सम्मुख व्याकरण को समझना महासंकट है।  लिंग व्यवस्था , शब्दों  वाक्यों के असंख्य भेद, कारक के 'ने ' चिन्ह के प्रयोग के उलझन आदि छात्रों के लिए संकट हैं।  सरल व्याकरण के स्थान पर वृहद व्याकरणों की रचना होने लगी है।  फलतः छात्र परीक्षा में उत्तीर्ण  होने के पश्चात्  पुनः व्याकरण की ओर ताकते भी नहीं। इस पुस्तक में विश्वभाषा में हिंदी का स्थान, उसका संबंध  सरल तथा संक्षिप्त रूप में समझाया गया है। सरलता ही इसकी महत्ता है। यह पुस्तक छात्रोपयोगी ही नहीं चिंतकों के लिए उपयोगी भी है। 



२. गोपाल सिंह 'नेपाली' : जीवन और साहित्य 
    प्रकाशन वर्ष : १९८३ 

उत्तर छायावादी कवि-गीतकार गोपाल सिंह 'नेपाली' उत्तर छायावादी कवियों में महत्वपूर्ण स्थान के अधिकारी हैं। आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री , दिनकर, श्यामनंदन किशोर, नीरज जैसे गीतकारों में नेपाली का स्थान विशिष्ट है।  उन्हें गीतों के राजकुमार, अलक्षित राष्ट्रकवि, वनमैन आर्मी  कहा जाता है।  चीनी आक्रमण के समय वे भारत के जान मानस में राष्ट्रीय भावना  भरने के लिए अकेले निकल पड़े , यह कहते हुए -" चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा ".  नेपाली बेतिया -चम्पारन , बिहार के सुकवि थे।  राष्ट्रीय भावना , नारी प्रेम सौंदर्य ,प्रकृति सौंदर्य , भक्ति भावना  के वे गीतकार थे। नेपाली के काल के विविध पक्षों से सम्बंधित लेखों - निबंधों का संकलन-संग्रह -संपादन इसके सम्पादक ने किया है। नेपाली के जीवन और साहित्य का यह विस्तृत अध्ययन है। 









३. नेपाली की काव्य चेतना 
   प्रकाशन वर्ष : १९९२ 

इस ग्रन्थ में विविध रचनाकरों के निबंध, समीक्षा , संस्मरण  आदि संकलित हैं जिसके द्वारा नेपाली के काव्य की विशेषताओं का सामान्य तथा विशेष परिचय प्राप्त होता है।  यह पुस्तक  पठनीय  है। 






     

४. हिंदी का सतसई  एवं शतक  साहित्य 
    प्रकाशन वर्ष : 

संस्कृत तथा हिंदी काव्य परंपरा में संख्याश्रित मुक्तकाव्य की लम्बी परंपरा है , जिनमें शतक एवं सतसई का विशेष महत्व है।  इस पुस्तक में शताधिक सतसईयों  एवं असंख्य शतकों का परिचय, उनकी विशेषतायें वर्णित हैं। यह शोधकार्य सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में अति महत्वपूर्ण है। 
     













५. प्रसाद की गद्य भाषा का शास्त्रीय अध्ययन 
    प्रकाशन वर्ष : २०१४ 

पटना विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य  देवेन्द्र नाथ शर्मा के निर्देशन में पटना विश्वविद्यालय की पी. एच.डी  उपाधि के लिए स्वीकृत शोधप्रबंध का यह मूल रूप है। प्रसाद की गद्य भाषा के अंग उपांगों का अध्ययन - भाषा शास्त्र, व्याकरण शास्त्र, शैली शास्त्र के आधार पर किया गया है। इस ग्रन्थ में विविध शीर्षकों में प्रसाद की सम्पूर्ण गद्य रचनाओं का सर्वांगपूर्ण अध्ययन प्रस्तुत है।  













इलेक्ट्रॉनिक मीडिया  द्वारा प्रो  (डॉ ) बलराम मिश्र  पर एक विशेष कार्यक्रम का निर्माण किया गया। दूरदर्शन केंद्र मुजफ्फरपुर की टीम  उनके निवास स्थान श्रीनगर बेतिया गयी और  उनसे साहित्य के अतिरिक्त अनेक बिंदुओं पर विस्तृत बातचीत की। उसी बातचीत पर आधारित एक विशेष कार्यक्रम का प्रसारण १९ अक्टूबर को सुबह साढ़े नौ बजे डी डी बिहार से किया गया।   


प्रो (डॉ) बलराम मिश्र दूरदर्शन टीम से बात करते हुए
चित्र : डॉ कुमार अनुभव 




प्रो (डॉ) बलराम मिश्र दूरदर्शन टीम से बात करते हुए
चित्र : डॉ कुमार अनुभव 







No comments:

Post a Comment