नागरी लिपि परिषद का स्वर्ण जयंती समारोह
(Golden Jubilee Celebrations of Nagari Lipi Parishad)
आचार्य विनोबा भावे की सत्प्रेरणा से स्थापित नागरी लिपि परिषद का स्वर्ण जयंती समारोह दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थित हंसराज महाविद्यालय के पद्मभूषण ज्ञान प्रकाश चोपड़ा संगोष्ठी कक्ष में 18 अगस्त को बहुत धूमधाम से मनाया गया।
इस शुभ अवसर पर देश-विदेश के प्रख्यात साहित्यकार-रचनाकार-शिक्षाविद-नागरी लिपि सेवी व्यक्तिगत रूप से तथा आभासी रुप से इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
इस समारोह में नागरी लिपि परिषद की मुख-पत्रिका "नागरी संगम" के स्वर्ण जयंती विशेषांक का लोकार्पण किया गया । इस विशेषांक में प्रख्यात और दिग्गज नागरी लिपि विद्वानों और प्रेमियों के पूर्व प्रकाशित आलेखों को पुनः प्रस्तुत किया गया है । परिषद के कार्यों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है ।
इस प्रतिष्ठित व ऐतिहासिक समारोह में "नागरी लिपि के स्वर्णिम सफर" पर एक लघु वीडियो फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया । साक्षात्कार व संपादन के साथ साथ इस फिल्म की प्रस्तुति डाॅ. अजय कुमार ओझा की थी। आलेख एवं पार्श्व स्वर था रत्ना पाण्डेय का।
इस ऐतिहासिक समारोह में नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में अपने को समर्पित करने वाले नागरी लिपि सेवियों को स्वर्ण जयंती सम्मान से सम्मानित किया गया।
मंच पर उपस्थित थे :
श्री राम चन्द्र राही (अध्यक्ष, केन्द्रीय गांधी स्मारक निधि)
डॉ. प्रेमचंद पातंजलि (अध्यक्ष, नागरी लिपि परिषद)
डाॅ. हरिसिंह पाल (महामंत्री, नागरी लिपि परिषद)
डाॅ. किरण हजारिका
श्री गोपाल बघेल (कनाडा)
इस समारोह का सफल आयोजन हंसराज महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रमा शर्मा के सहयोग के बिना संभव नहीं था ।
अतिथियों के आगमन और दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत रायपुर से पधारीं डॉ. मुक्ता कौशिक ने नागरी वंदना प्रस्तुत की। नागरी लिपि के कोषाध्यक्ष आचार्य ओम प्रकाश ने नागरी लिपि के लक्ष्य एवं उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। नागरी संगम विशेषांक की समीक्षा श्री अरुण कुमार पासवान और डॉ. इस्पाक अली ने की। आभासी पटल पर नागरी लिपि सेवियों को जोड़ने की भूमिका डॉ. रश्मि चौबे ने निभाई।
कुल मिलाकर नागरी लिपि परिषद का यह स्वर्ण जयंती समारोह अत्यंत सफल रहा ।
इस समारोह के कुछ चित्रों के साथ आपको छोड़ जा रहा हूं।
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