नागरी लिपि परिषद का स्वर्णिम सफर
(Golden Journey of Nagari Lipi Parishad)
आचार्य विनोबा भावे (Acharya Vinoba Bhave) की सत्प्रेरणा से नागरी लिपि परिषद की स्थापना 17 अगस्त 1975 को हुई थी यानी नागरी लिपि परिषद (Nagari Lipi Parishad) अपनी स्थापना का स्वर्णिम सफर तय कर रहा है।
नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार तथा उसकी उपयोगिता को जन जन तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम है नागरी लिपि परिषद। नागरी लिपि परिषद संकल्पित है भारतीय भाषाओं को एक सूत्र में बांधने हेतु नागरी को संपर्क लिपि के रूप में विकसित करने के लिए।
नागरी लिपि परिषद का कार्यालय दिल्ली के राजघाट में है। गांधी स्मारक निधि के परिसर में । एक छोटे से कमरे से एक बड़े उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नागरी लिपि परिषद नित्य निरंतर कार्यरत हैं ।
लीजिए इस शुभ अवसर पर प्रस्तुत है नागरी लिपि के स्वर्णिम सफर पर एक छोटा सा वृत्त चित्र।
आलेख एवं पार्श्व स्वर : रत्ना पाण्डेय
Script & Voice : Ratna Pandey
साक्षात्कार, संपादन एवं प्रस्तुति : डाॅ. अजय कुमार ओझा
Interview, Editing & Produced by : Dr. Ajay Kumar Ojha
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