पहली बार मनाया गया जामिया मिल्लिया इस्लामिया में नागरी दिवस समारोह
(For the First Time Ever Nagari Divas Celebrations in Jamia Millia Islamia)
देश- विदेश में नागरी लिपि का प्रचार-करने वाली प्रतिनिधि संस्था नागरी लिपि परिषद के सत्प्रेरक आचार्य विनोबा भावे की जन्म जयंती को नागरी दिवस के रूप में पहली बार जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भव्य रूप में मनाया गया।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मानविकी एवं भाषा विभाग के सभा कक्ष में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष और पूर्व कुलपति डॉ प्रेमचंद पातंजलि ने की। केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष एवं वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। परिषद के महामंत्री एवं न्यूयॉर्क, अमेरिका से प्रकाशित वैश्विक हिंदी पत्रिका सौरभ के प्रधान संपादक डॉ हरिसिंह पाल के सानिध्य में और परिषद के संयुक्त मंत्री और आकाशवाणी के पूर्व सह निदेशक अरुण कुमार पासवान के कुशल संचालन में सुपरिचित कवि बाबा कानपुरी के नागरी गान से समारोह का शुभारंभ हुआ। परिषद के कोषाध्यक्ष एवं रक्षा मंत्रालय के पूर्व हिंदी अधिकारी आचार्य ओमप्रकाश और श्री बाबा कानपुरी ने श्री जोशी का, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ नीरज कुमार और डॉ आसिफ उमर ने डॉ पातंजलि का, जामिया के शिक्षा विभाग के प्राध्यापक डॉ डोरी लाल और हिंदी अधिकारी डॉ राजेश मांझी ने डॉ पाल का, दूरदर्शन के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट डॉ अजय कुमार ओझा ने डॉ नीरज कुमार का, राज्य सभा सचिवालय के उपनिदेशक राजभाषा श्री सनातन कुमार ने डॉ आसिफ उमर का, पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ हेमलता माहेश्वर का गुवाहाटी, असम की शोधछात्रा सुश्री सपना मंडल ने परिषद के विशेष अंगवस्त्र और नागरी साहित्य प्रदान कर सम्मानित किया।
हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ नीरज कुमार ने अपने स्वागत भाषण में नागरी लिपि परिषद द्वारा इस संस्थान में नागरी समारोह मनाने के लिए आभार प्रकट किया। डॉ हरिसिंह पाल ने विषय प्रवर्तन करते हुए नागरी लिपि परिषद के इतिहास और इसकी गतिविधियों और उपलब्धियों को रेखांकित किया। नागरी विमर्श के अंतर्गत राज्यसभा सचिवालय के उपनिदेशक (राजभाषा) ने सूचना प्रौद्योगिकी और नागरी लिपि, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व निदेशक (राजभाषा) डॉ वेद प्रकाश गौड़ ने लिपि विहीन बोलियों के लिए नागरी लिपि, और केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व उपनिदेशक एवं भाषा के संपादक डॉ भगवती प्रसाद निदारिया ने 'वैश्विक लिपि के रूप में नागरी लिपि का सामर्थ्य' विषय पर अपने विचार रखे।
इस अवसर पर नागरी लिपि परिषद की मुख पत्रिका नागरी संगम के 'स्वर्ण जयंती विशेषांक' और परिषद के सदस्य डॉ अजय कुमार ओझा की दो पुस्तकों - "यदि, यदि एवं यदि ..." और Demystifying the Origin of Tharus का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।
मुख्य अतिथि श्री अनिल जोशी ने नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में नागरी लिपि परिषद के योगदान को सराहा और इसे और अधिक गति देने का आग्रह किया। श्री जोशी के आवाहन पर जामिया के कुछ प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने नागरी लिपि के संदर्भ में अपनी जिज्ञासाएं रखीं, जिनका समाधान डॉ हरिसिंह पाल और श्री अनिल जोशी ने किया। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में पूर्व कुलपति डॉ प्रेमचंद पातंजलि ने जामिया के आतिथ्य और संयोजन की सराहना की और नागरी लिपि परिषद के वैश्विक प्रसार की जानकारी दी।
इस अवसर पर श्री अनिल जोशी, डॉ नीरज कुमार, श्री सनातन कुमार और डॉ आसिफ उमर को परिषद की ओर से स्वर्ण जयंती नागरी सम्मान से सम्मानित भी किया गया। समारोह में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मशहूर शायर डॉ ए आर मुसव्विर, प्राध्यापक डॉ हैदर अली, प्रो दिलीप शाक्य, डॉ अब्दुल हाशिम, डॉ विवेक दुबे, डॉ मुकेश कुमार मिरोठा, प्रो इंदु वीरेन्द्र, डॉ आलमगीर, डॉ अमित कुमार, डॉ संजीव, डॉ जफरुल्लाह, डॉ गणपति तेली सहित अनेक विभागों के प्राध्यापक और अन्य शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थियों के साथ साथ अनेक लिपि प्रेमियों ने अपनी सक्रिय प्रतिभागिता निभाई। संयोजक डॉ आसिफ उमर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।