Saturday, August 30, 2025

Reserve MP/MLA Seat in Tharuhat of West Champaran

 








पश्चिम चम्पारण के थारू आदिवासी भाई 2003 से अनुसूचित जनजाति में शामिल हो गए हैं। इसके लिए भी प्रयास अस्सी के दशक से चल रहा था । अस्सी के दशक से ही हम थारू आदिवासी के बीच थरूहट में जाने लगे थे। और फिर कुछ समय बाद थारूओं के गांव बखरी बाजार में उनकी झोंपड़ी में रहने लगे थे अपने शोध के क्रम में। और आस- पास के बीहड़ क्षेत्रों में, जंगल में पैदल ही जाया करते‌ थे। उस समय यह क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष कर रहा था। चाहे सड़क हो, या बिजली हो, या संचार का साधन हो, या बरसाती नदियों पर पुल हो, या स्वास्थ्य की सुविधा हो, या शिक्षा हो, या कानून व्यवस्था हो। उस समय तो यह क्षेत्र मिनी चंबल था, माओवादियों का अड्डा था। हत्या व किडनैपिंग रोजमर्रा की बातें थीं। कोई भी इस क्षेत्र में जाने से घबराता था, डरता था ।

उस समय से हमने थारू भाइयों विशेष तौर पर शंकर महतो तथा राम नाथ काजी जी को प्रेरित करना शुरू किया अनुसूचित जनजाति के लिए। मुझे यह बताने का मौका मिला कि नैनीताल के थारू बहुत पहले से ही अनुसूचित जनजाति में शामिल हैं फिर अपलोग क्यों नहीं? इसका असर ये हुआ कि ये लोग अपनी मांग लेकर बाहर जाने लगे। 1990 में शंकर महतो तथा राम नाथ काजी जी अपनी मांग को लेकर दिल्ली गए और केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रियों और अधिकारियों को अपना ज्ञापन सौंपा था।और इस तरह से यह क्रम जारी रहा, और लोगों ने भी इस मिशन में सहयोग देना प्रारंभ किया और परिणाम हुआ कि 2003 में पश्चिम चम्पारण के थारू अनुसूचित जनजाति में शामिल हो गए।
जेएनयू से पीएचडी की उपाधि प्राप्त होने‌ के बाद भी मैं पश्चिम चम्पारण के थरूहट आज भी जाता रहता‌ हूं। यानी चार दशक से ज्यादा का यह रिश्ता है ।लगता है ये भूमिका भी ईश्वर ने मुझे ही प्रदान की‌‌ है ताकि सीधे सादे थारू भाइयों का कल्याण हो‌ सके ।
जब डिलिमिटेशन की प्रक्रिया चल रही थी तो मुझे अपने ब्लॉग तथा यूट्यूब के माध्यम से ये बात रखने का अवसर मिला कि थरूहट में थारू आदिवासियों के लिए एम पी, एम एल ए सीट (MP/MLA)आरक्षित होनी चाहिए और इस तरह से जो दशकों से उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा न देकर उनके साथ जो घोर अन्याय हुआ उसकी भरपाई एम पी, एम एल ए सीट आरक्षित कर किया जा सकता‌ है। इससे थारू भाइयों की आवाज विधानसभा तथा लोकसभा तक पहुंचेगी।
अपने ब्लॉग में मैंने ये मुद्दा 15 दिसंबर 2013 को तो उठाया ही था,अपने यूट्यूब चैनल पर 14 सितंबर 2020 को भी उठाया था । वैसे चर्चा तो मैं पहले से ही करता आया हूं। और अब ये मुद्दा फेसबुक के माध्यम से भी उठा रहा हूं ताकि संबंधित मंत्रियों व अधिकारियों तक मेरी बात पहुंचे और पश्चिम चम्पारण के थारू अनुसूचित जनजाति भाइयों को अपनी बात सीधे तौर पर विधानसभा एवं लोकसभा में रखने का अवसर प्राप्त हो। बिहार के विभाजन के उपरान्त पश्चिम चम्पारण की थारू जनजाति अब बिहार की मुख्य अनुसूचित जनजाति हो गई है ।
















Monday, August 25, 2025

Ek Budhiya Ki Adhuri Kahani|Acharya Rabindra Nath Ojha|Dr Ajay Kumar Ojha| Nagari Lipi Parishad


"एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी"पुस्तक पर समीक्षा








आइए देखिए "एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी"पुस्तक पर समीक्षा एक पूर्व कुलपति और अध्यक्ष नागरी लिपि परिषद डाॅ प्रेमचंद पातंजलि से, आकाशवाणी के पूर्व अधिकारी तथा जाने-माने लेखक व कवि श्री अरूण कुमार पासवान से और आकाशवाणी के पूर्व अधिकारी, प्रसिद्ध साहित्यकार एवं महामंत्री नागरी लिपि परिषद डाॅ हरिसिंह पाल से।






Demystifying the Origin of Tharus|Dr Ajay Kumar Ojha| Tharus of West Champaran|Nagari Lipi Parishad


Demystifying the Origin of Tharus|Dr Ajay Kumar Ojha| Tharus of West Champaran|Nagari Lipi Parishad




Three books on the Tharus of West Champaran of Bihar authored by me have been published, namely
1. From Pasturization to Pauperization of the Tharus
2. Wonderful Tharu Tribe, Alluring Tharuhat and Charming Champaran
3. Demystifying the Origin of Tharus
In this video we can find the review of the book "Demystifying the Origin of Tharus" with special reference to the Tharus of West Champaran. The book has been reviewed by
a. Dr Premchand Patanjali, Former Vice Chancellor and President of Nagari Lipi Parishad
b. Shri Arun Kumar Paswan, Author & Poet, and Joint Secretary of Nagari Lipi Parishad
c. Dr Hari Singh Pal, Author & Editor and General Secretary of Nagari Lipi Parishad
Video is of 5 mts duration only but you will be able to know about the book and its utility for the readers and researchers.









Sunday, August 24, 2025

‘‘नागरी संगम स्वर्ण जयंती विशेषांक’ (Golden Jubilee Special Edition of Nagari Sangam)

                                          ‘नागरी संगम स्वर्ण जयंती विशेषांक’ 

(Golden Jubilee Special Edition of Nagari Sangam)












अपनी व्यस्तता के बीच मुझे नहीं लग रहा था कि मैं ‘नागरी संगम  स्वर्ण जयंती विशेषांक’ पर अपनी टिप्पणी दे पाऊँगा । पर यह पत्रिका जो पुस्तकाकार रूप धारण कर ली है मुझे बारम्बार किसी प्रेयसी की तरह किसी प्रियतमा की तरह अपनी ओर आकर्षित करती रही - अपनी वेशभूषा से, अपनी  साज-सज्जा से, अपनी सजावट-बनावट से।  कितना सुंदर है इसका परिधान और कितना सुंदर इसका आवरण ! मैं खींचा चला आया इसकी ओर, न जाने कैसे - अनायास, अचानक, अकस्मात्। 


अब मैं अपनी इस प्रेयसी-पुस्तक  के बारे में कुछ कहने को बैठ गया हूँ।  लेकिन ये मत सोचिए कि इसके अनुपम सौन्दर्य के प्रभाव में इसकी अनुचित एवं असत्य प्रशंसा करुँगा।  नहीं, कभी नहीं।  वैसे ये पुस्तक है ही प्रशंसा के लायक। आप मानें या न मानें।  आप चाहें या न चाहें। देखने में सुंदर तो है ही, स्पर्श करने में अत्यंत कोमल व मुलायम।  


और इसके घटक या अवयव।  52 हैं।  और सब एक से बढ़कर एक। सब नागरी लिपि के बारे  में। उसके इतिहास के बारे में, उसके वर्तमान के बारे में और उसके भविष्य के बारे में भी। और हाँ उसके उद्देश्य के बारे में, उसकी उपादेयता के बारे में, राष्ट्रीय एकता तथा विश्व-लिपि के रूप में उसकी भूमिका के बारे में, उसकी वैज्ञानिकता के बारे में, उसकी जननी के बारे में । फिर नागरी लिपि परिषद् (Nagari Lipi Parishad) के बारे में - जो अपनी स्थापना की स्वर्ण जयंती मना  रहा है।  और ये तो सर्वविदित ही है कि 1975 में आचार्य विनोबा भावे की सत्प्रेरणा से इस परिषद् की स्थापना हुई थी नागरी लिपि के प्रचार प्रसार हेतु । 

 

इस पुस्तक में नागरी लिपि परिषद् का संक्षिप्त परिचय भी है, उसका इतिहास भी, उसकी गतिविधियाँ भी, उसके पदाधिकारियों के विवरण भी  और हाँ परिषद् का लेखा-जोखा भी ताकि पारदर्शिता बनी रहे। और यही नहीं परिषद् द्वारा आयोजित नागरी लिपि कार्यक्रमों का विवरण भी - नागरी लिपि परिषद् द्वारा जो पुरस्कार दिए जाते हैं उनका विवरण भी, नागरी लिपि के प्रचार प्रसार के लिए जो प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं उनका विस्तृत विवरण भी, अंतर भारती के अंतर्गत विभिन्न भाषाओं (देश की और विदेश की भी) को नागरी लिपि में कैसे लिखा जाए उनके उदाहरण भी, नागरी लिपि परिषद् द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका ‘नागरी संगम’ का सिंहावलोकन भी।  


और यही नहीं समाचार पत्रों के क्लिप्पिंग्स भी, दुर्लभ चित्रों के माध्यम से नागरी लिपि परिषद् का रंगीन सचित्र इतिहास भी, परिषद् की रंगीन सचित्र गतिविधियॉं एवं उप्लब्धियाँ भी, ‘नागरी संगम’ पत्रिका में प्रख्यात और दिग्गज नागरी लिपि विद्वानों और प्रेमियों के पूर्व प्रकाशित आलेखों का पुनः प्रस्तुतीकरण भी, और भारत सरकार में शिक्षा  मंत्री माननीय धर्मेन्द्र प्रधान का शुभकामना संदेश  भी  और साथ ही केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी का संदेश भी।     


तो कहने का तात्पर्य है कि क्या नहीं समाहित है इस ‘नागरी संगम स्वर्ण जयंती विशेषांक’ में। नागरी लिपि और नागरी लिपि परिषद् का एक गज़ब का दस्तावेज़ है यह, एक अद्भुत प्रलेख है अभिलेख है।  सभी नागरी लिपि प्रेमियों एवं सेवियों के लिए भगवद्गीता की तरह अवश्यमेव पठनीय ही नहीं संग्रहणीय सामग्री है यह विशेषांक। 


इस  अद्भुत “नागरी संगम स्वर्ण जयंती विशेषांक” के लिए  बेहिचक, बेसंकोच  और बेझिझक ताली तो बनती ही है। तो संपादक-मण्डल के अध्यक्ष डॉ. प्रेमचंद पातंजलि  और प्रधान संपादक डॉ. हरिसिंह पाल को, उनके कर्मठ, निष्ठावान  और समर्पित  टीम के साथ, अपार, असीम, अनंत बधाई एवं शुभकामनाएँ।   

“जय नागरी, जय भारती”



सधन्यवाद।   


डॉ. अजय कुमार ओझा

(Dr. Ajay Kumar Ojha) 


Thursday, August 21, 2025

Bharatiya Kshetriya Patrakar Sangh | Sanatan Shodh Sansthan | New Delhi | Rashtriya Sikh Sangat


Bharatiya Kshetriya Patrakar Sangh | Sanatan Shodh Sansthan | New Delhi | Rashtriya Sikh Sangat


Dr Ajay Kumar Ojha received "Patrakarita Ratna Samman" 




Tuesday, August 19, 2025

एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन " नागरी लिपि : वैश्विक स्तर पर प्रभाव और स्वीकार्यता"

 

एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन " नागरी लिपि : वैश्विक स्तर पर प्रभाव और स्वीकार्यता"



19 अगस्त 2025 को शेवलियेर टी. थॉमस एलिज़ाबेथ महाविद्यालय, (Chevalier T. Thomas Elizabeth College for Women, Chennai Tamil Nadu) और नागरी लिपि परिषद् (Nagari Lipi Parishad) नई दिल्ली, तमिलनाडु शाखा चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में  एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन (One Day International Conference) का आयोजन किया गया।  शीषर्क था " नागरी लिपि : वैश्विक स्तर पर प्रभाव और स्वीकार्यता"

यह सम्मेलन सुबह 10 से लेकर 2 बजे तक आभासी पटल पर आयोजित किया गया। 

बीच बीच में इंटरनेट के व्यवधान के बावजूद भी यह सम्मेलन  अपने उद्देश्यों की पूर्ति में पूर्णतः सफल रहा।  इस कार्यक्रम में देश-विदेश के नागरी प्रेमी और नागरी सेवियों  ने हिस्सा लिया।  युवा शोधार्थियों द्वारा बिना किसी हिचक व संकोच के पूरे आत्मविश्वास के साथ सहज तरीके से अपनी बातें रखना और वह भी एक अहिंदी प्रदेश से अत्यंत रोचक और प्रेरणादायी रहा।  ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नागरी लिपि और हिंदी भाषा के शोधार्थियों को नागरी लिपि परिषद् द्वारा अवसर प्रदान करना एक अत्यंत ही सराहनीय कदम  है।  

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे नागरी लिपि परिषद् के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल। विशिष्ट अतिथि थे वरिष्ठ रचनाकार एवं अध्यक्ष साझा संसार फाउंडेशन, नीदरलैंड्स डॉ. रामा तक्षक।  वक्ता थे :

डॉ. प्रेमचंद पातंजलि 

डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन 

डॉ. रश्मि चौबे 

 मैं यानी डॉ. अजय कुमार ओझा (Dr. Ajay Kumar Ojha) तो  इस कार्यक्रम से वैसे ही जुड़ा था एक श्रोता के रूप में, पर मुझे भी मुख्य अतिथि द्वारा अचानक आमंत्रित कर दिया गया अपने वक्तव्य देने के लिए।  मैंने भी बिना किसी पूर्वचिंतन के बिना किसी पूर्व तैयारी के अनायास ही अचानक ही अपने अनुभवों पर आधारित नागरी  लिपि के प्रचार-प्रसार और संवर्धन के लिए मेरे द्वारा  किये जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया।  और प्रयासों के अतिरिक्त बिहार के पश्चिम चम्पारण के थारू आदिवासियों  (Tharu Tribe of West Champaran) के बीच किए जा रहे प्रयासों की भी चर्चा की। 

किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर वक्तव्य देने का मुझे सुअवसर प्राप्त हुआ इसके लिए मैं नागरी लिपि परिषद् का आभारी हूँ। अपनी व्यस्तताओं के चलते वैसे मैं बहुत काम ही आभासी पटल पर हो रहे कार्यक्रमों से जुड़ पाता हूँ।  

इस कार्यक्रम का संचालन भी सराहनीय तथा प्रशंसनीय था।  बिना झिझक यह कहा जा सकता है कि यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बड़ा ही रोचक था और बड़ा ही सूचनात्मक।  








डाॅ. अजय कुमार ओझा स्वर्ण जयंती नागरी सम्मान से सम्मानित (Swarn Jayanti Nagari Samman to Dr. Ajay Kumar Ojha)

डाॅ. अजय कुमार ओझा स्वर्ण जयंती नागरी सम्मान से सम्मानित




 18 अगस्त 2025 को दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज महाविद्यालय में आयोजित नागरी लिपि परिषद के भव्य स्वर्ण जयंती समारोह में डाॅ. अजय कुमार ओझा (Dr. Ajay Kumar Ojha) को नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन में सक्रिय तथा विशिष्ट योगदान के लिए स्वर्ण जयंती नागरी सम्मान (Swarn Jayanti Nagari Samman)से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर डाॅ अजय कुमार ओझा द्वारा नागरी लिपि के स्वर्णिम सफर पर तैयार की गई लघु वीडियो फिल्म को भी प्रदर्शित किया गया । इस वीडियो फिल्म का आलेख एवं पार्श्व स्वर जानी-मानी समाचार वाचिका-उद्घोषिका रत्ना पाण्डेय का है । नागरी लिपि परिषद पर बनाई गई ‌इस वीडियो फिल्म की भूरि भूरि प्रशंसा हुई।

इस सम्मान से‌ संबंधित कुछ ‌चित्रों के साथ आपको छोड़े जा‌ रहा हूं।

















नागरी लिपि परिषद का स्वर्ण जयंती समारोह (Golden Jubilee Celebrations of Nagari Lipi Parishad)


नागरी लिपि परिषद का स्वर्ण जयंती समारोह 

(Golden Jubilee Celebrations of Nagari Lipi Parishad)



 



आचार्य विनोबा भावे की सत्प्रेरणा से स्थापित नागरी लिपि परिषद का स्वर्ण जयंती समारोह दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थित हंसराज महाविद्यालय के पद्मभूषण ज्ञान प्रकाश चोपड़ा संगोष्ठी कक्ष में 18 अगस्त को बहुत धूमधाम से मनाया गया।

इस शुभ अवसर पर देश-विदेश के प्रख्यात साहित्यकार-रचनाकार-शिक्षाविद-नागरी लिपि सेवी व्यक्तिगत रूप से तथा आभासी रुप से इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में‌ सम्मिलित हुए।

इस समारोह में नागरी लिपि परिषद की मुख-पत्रिका "नागरी संगम" के स्वर्ण जयंती विशेषांक का लोकार्पण किया गया । इस विशेषांक में प्रख्यात और दिग्गज नागरी लिपि विद्वानों और प्रेमियों के पूर्व प्रकाशित आलेखों को पुनः प्रस्तुत किया गया है । परिषद के कार्यों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है ।

इस प्रतिष्ठित व ऐतिहासिक समारोह में "नागरी लिपि के स्वर्णिम सफर" पर एक लघु वीडियो फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया । साक्षात्कार व संपादन के साथ साथ इस फिल्म की प्रस्तुति डाॅ. अजय कुमार ओझा की थी। आलेख एवं पार्श्व स्वर था रत्ना पाण्डेय का।
इस ऐतिहासिक समारोह में नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में अपने को समर्पित करने वाले नागरी लिपि सेवियों को स्वर्ण जयंती सम्मान से सम्मानित किया गया।

मंच पर उपस्थित थे :
श्री राम चन्द्र राही (अध्यक्ष, केन्द्रीय गांधी स्मारक निधि)
डॉ. प्रेमचंद पातंजलि (अध्यक्ष, नागरी लिपि परिषद)
डाॅ. हरिसिंह पाल (महामंत्री, नागरी लिपि परिषद)
डाॅ. किरण हजारिका
श्री गोपाल बघेल (कनाडा)

इस समारोह का सफल आयोजन हंसराज महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रमा शर्मा के सहयोग के बिना‌ संभव नहीं ‌था ।

अतिथियों के आगमन और दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत रायपुर से पधारीं डॉ. मुक्ता कौशिक ने नागरी वंदना प्रस्तुत की। नागरी लिपि के कोषाध्यक्ष आचार्य ओम प्रकाश ने नागरी लिपि के लक्ष्य एवं उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। नागरी संगम विशेषांक की समीक्षा श्री अरुण कुमार पासवान और डॉ. इस्पाक अली ने की। आभासी पटल पर नागरी लिपि सेवियों को जोड़ने की भूमिका डॉ. रश्मि चौबे ने निभाई।

कुल मिलाकर नागरी लिपि परिषद का यह स्वर्ण जयंती समारोह अत्यंत सफल रहा ।
इस समारोह के कुछ चित्रों के साथ आपको छोड़ जा रहा‌ हूं।
बहुत बहुत धन्यवाद।

































































Sunday, August 17, 2025

नागरी लिपि परिषद का स्वर्णिम सफर (Golden Journey of Nagari Lipi Parishad)

नागरी लिपि परिषद का स्वर्णिम सफर 
(Golden Journey of Nagari Lipi Parishad)


आचार्य विनोबा भावे (Acharya Vinoba Bhave) की सत्प्रेरणा से नागरी लिपि परिषद की स्थापना 17 अगस्त 1975 को हुई थी यानी नागरी लिपि परिषद (Nagari Lipi Parishad) अपनी स्थापना का स्वर्णिम सफर तय कर रहा है।
नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार तथा उसकी उपयोगिता को जन‌ जन तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम है नागरी लिपि परिषद। नागरी लिपि परिषद संकल्पित है‌ भारतीय भाषाओं को एक सूत्र में बांधने हेतु नागरी को संपर्क लिपि के रूप में विकसित करने के लिए।
परिषद इस बात पर भी जोर देती है कि बोलियों और प्रादेशिक भाषाओं की प्रस्तुति नागरी लिपि के माध्यम से ही‌ हो । परिषद न केवल देश को वरन् पूरे विश्व को नागरी लिपि के माध्यम से एक सूत्र में बांधने की दिशा में अग्रसर है ।
नागरी लिपि परिषद का कार्यालय दिल्ली के राजघाट में है। गांधी स्मारक निधि के परिसर में । एक छोटे से कमरे से एक बड़े उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नागरी लिपि परिषद नित्य निरंतर कार्यरत हैं ।
लीजिए इस शुभ अवसर पर प्रस्तुत है नागरी लिपि के स्वर्णिम सफर पर एक छोटा सा वृत्त चित्र।
आलेख एवं पार्श्व स्वर : रत्ना पाण्डेय
Script & Voice : Ratna Pandey

साक्षात्कार, संपादन एवं प्रस्तुति : डाॅ. अजय कुमार ओझा
Interview, Editing & Produced by : Dr. Ajay Kumar Ojha









Sunday, August 10, 2025

Dr Ajay Kumar Ojha 's Three Books Released in Delhi Book Fair 2025 in Bharat Mandapam Delhi

 

Dr Ajay Kumar Ojha 's Three Books Released in Delhi Book Fair 2025 in Bharat Mandapam Delhi


7 अगस्त 2025 को दिल्ली के भारत मण्डपम्‌ (Bharat Mandapam) में दिल्ली पुस्तक मेला (Delhi Book Fair) के अन्तर्गत ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Authors Guild of India) द्वारा "पुस्तक लोकार्पण, परिचर्चा और कवि गोष्ठी" का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में‌ पूरे देश से‌ आए हुए प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि‌ तथा साहित्य प्रेमी उपस्थित थे । इस भव्य समारोह में‌ देश के‌ प्रख्यात साहित्यकारों व विद्वानों के‌ द्वारा मेरे‌ तीन‌‌ पुस्तकों का लोकार्पण किया गया।

1. फूटा बसंत आज मौसम में
2. एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी
3. Demystifying the Origin of Tharus

















मंच पर आसीन थे‌ - डाॅ मुकेश अग्रवाल, डाॅ वीरेंद्र शेखर, डाॅ हरिसिंह पाल (महामंत्री, नागरी लिपि परिषद), श्री राकेश पाण्डेय, डाॅ शिवशंकर अवस्थी (महामंत्री, ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया) और प्रो. हरीश अरोड़ा। "पुस्तक लोकार्पण व परिचर्चा" की अध्यक्षता डाॅ मुकेश अग्रवाल ने की।

इस आयोजन के कवि गोष्ठी की अध्यक्षता डाॅ दिविक रमेश ने की। और सफल संचालन प्रसिद्ध साहित्यकार श्री अरूण कुमार पासवान ( सेवा निवृत्त भारतीय प्रसारण सेवा के वरिष्ठ आकाशवाणी अधिकारी) ने की।
इस कार्यक्रम में मुझे बाबूजी आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा की कविता 'छलके छलके नयनियाॅं के कोर " की गीतमय प्रस्तुति करने का भी सुअवसर प्राप्त हुआ।























डॉ. अजय कुमार ओझा द्वारा गीतमय काव्य पाठ


डॉ. अजय कुमार ओझा द्वारा गीतमय काव्य पाठ