एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन " नागरी लिपि : वैश्विक स्तर पर प्रभाव और स्वीकार्यता"
19 अगस्त 2025 को शेवलियेर टी. थॉमस एलिज़ाबेथ महाविद्यालय, (Chevalier T. Thomas Elizabeth College for Women, Chennai Tamil Nadu) और नागरी लिपि परिषद् (Nagari Lipi Parishad) नई दिल्ली, तमिलनाडु शाखा चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन (One Day International Conference) का आयोजन किया गया। शीषर्क था " नागरी लिपि : वैश्विक स्तर पर प्रभाव और स्वीकार्यता"
यह सम्मेलन सुबह 10 से लेकर 2 बजे तक आभासी पटल पर आयोजित किया गया।
बीच बीच में इंटरनेट के व्यवधान के बावजूद भी यह सम्मेलन अपने उद्देश्यों की पूर्ति में पूर्णतः सफल रहा। इस कार्यक्रम में देश-विदेश के नागरी प्रेमी और नागरी सेवियों ने हिस्सा लिया। युवा शोधार्थियों द्वारा बिना किसी हिचक व संकोच के पूरे आत्मविश्वास के साथ सहज तरीके से अपनी बातें रखना और वह भी एक अहिंदी प्रदेश से अत्यंत रोचक और प्रेरणादायी रहा। ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नागरी लिपि और हिंदी भाषा के शोधार्थियों को नागरी लिपि परिषद् द्वारा अवसर प्रदान करना एक अत्यंत ही सराहनीय कदम है।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे नागरी लिपि परिषद् के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल। विशिष्ट अतिथि थे वरिष्ठ रचनाकार एवं अध्यक्ष साझा संसार फाउंडेशन, नीदरलैंड्स डॉ. रामा तक्षक। वक्ता थे :
डॉ. प्रेमचंद पातंजलि
डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन
डॉ. रश्मि चौबे
मैं यानी डॉ. अजय कुमार ओझा (Dr. Ajay Kumar Ojha) तो इस कार्यक्रम से वैसे ही जुड़ा था एक श्रोता के रूप में, पर मुझे भी मुख्य अतिथि द्वारा अचानक आमंत्रित कर दिया गया अपने वक्तव्य देने के लिए। मैंने भी बिना किसी पूर्वचिंतन के बिना किसी पूर्व तैयारी के अनायास ही अचानक ही अपने अनुभवों पर आधारित नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार और संवर्धन के लिए मेरे द्वारा किये जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया। और प्रयासों के अतिरिक्त बिहार के पश्चिम चम्पारण के थारू आदिवासियों (Tharu Tribe of West Champaran) के बीच किए जा रहे प्रयासों की भी चर्चा की।
किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर वक्तव्य देने का मुझे सुअवसर प्राप्त हुआ इसके लिए मैं नागरी लिपि परिषद् का आभारी हूँ। अपनी व्यस्तताओं के चलते वैसे मैं बहुत काम ही आभासी पटल पर हो रहे कार्यक्रमों से जुड़ पाता हूँ।
इस कार्यक्रम का संचालन भी सराहनीय तथा प्रशंसनीय था। बिना झिझक यह कहा जा सकता है कि यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बड़ा ही रोचक था और बड़ा ही सूचनात्मक।