Monday, April 15, 2024

नागरी लिपि परिषद् की स्वर्ण जयंती पर भव्य अंतरराष्ट्रीय समारोह

 

नागरी लिपि परिषद् की स्वर्ण जयंती पर भव्य अंतरराष्ट्रीय समारोह 

(Golden Jubilee Celebrations of Nagari Lipi Parishad)






देश विदेश में नागरी लिपि का प्रचार प्रसार करनेवाली देश की प्रतिनिधि संस्था नागरी लिपि परिषद् ने अपनी  स्थापना की स्वर्ण जयंती दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज महाविद्यालय में 10 अप्रैल 2024 को बड़ी धूमधाम से मनाई।  समारोह की अध्यक्षता पूर्व कुलपति एवं परिषद् के अध्यक्ष डॉ प्रेमचंद पातंजलि ने की और केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के निदेशक डॉ सुनील बाबूराव कुलकर्णी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।  इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के समकुलपति डॉ किरण हजारिका और टोरंटो, कनाडा से प्रकाशित हिंदी पत्रिका 'वसुधा' की सम्पादक डॉ श्रीमती स्नेह ठाकुर विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित थे। 





समारोह का शुभारम्भ आचार्य अनमोल के स्वस्ति वाचन और वैदिक विद्वान आचार्य अखिलेश आर्येन्दु की नागरी लिपि वंदना से हुआ।  हंसराज महाविद्यालय की प्राचार्या  डॉ रमा शर्मा ने अपने स्वागत भाषण में नागरी लिपि परिषद् की स्थापना की स्वर्ण जयंती पर परिषद् के पदाधिकारियों और कार्यकर्त्ताओं को हार्दिक बधाई देते हुए राष्ट्रीय एकता में नागरी लिपि के महत्त्व पर प्रकाश डाला।  उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा के लिए  राष्ट्रभाषा हिंदी  और राष्ट्र लिपि को बढ़ावा देना ही होगा।  नागरी लिपि परिषद् के  महामंत्री और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ हरिसिंह पाल ने विषय प्रवर्तन करते हुए नागरी लिपि परिषद् की स्थापना के बारे में वक्तव्य देते हुए कहा कि राष्ट्र एकता के सुदृढ़ीकरण के लिए आचार्य विनोबा भावे ने पवनार आश्रम वर्धा में गाँधी स्मारक निधि की बैठक में नागरी लिपि का पक्ष रखा था।  भारत सरकार के तत्कालीन  शिक्षा मंत्री ने सरकारी सहयोग के लिए एक अलग संस्था के गठन का सुझाव दिया था, जिसके फलस्वरूप 10 अप्रैल 1975 को नागरी लिपि परिषद् गठित होकर पंजीकृत संस्था के रूप में अस्तित्व में आई।  इसमें देशभर के तत्कालीन नागरी हिंदी प्रेमी भाषाविद सम्मिलित हुए। 



आज यह परिषद् देश की प्रतिष्ठित नागरी संस्था है जो विगत 50 वर्षों से देश भर में, विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत एवं दक्षिण भारत में अनवरत नागरी लिपि का  प्रचार प्रसार कर रही है जिसके कारण पूर्वोत्तर की अनेक लिपि विहीन बोली भाषाओं ने नागरी लिपि को अंगीकार कर लिया है। 


मुख्य अतिथि डॉ सुनील कुलकर्णी ने अपने  उद्बोधन में नागरी लिपि परिषद् के महामंत्री डॉ पाल के नागरी लिपि के प्रचार प्रसार के लिए किए जा रहे राष्ट्र व्यापी प्रयासों की सराहना करते हुए परिषद् की स्थापना  की  स्वर्ण जयंती पर सभी  को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नागरी लिपि हमारे देश की राष्ट्रीय एकता की महत्वपूर्ण कड़ी है। डॉ कुलकर्णी ने इस अवसर पर केंद्रीय हिंदी  संस्थान की ओर से परिषद् को सभी प्रकार के सहयोग का आश्वासन भी दिया।



 समारोह में नागरी लिपि परिषद् की मुख्य  पत्रिका 'नागरी संगम' , डॉ पाल द्वारा संपादित  एवं अखिल विश्व हिंदी समिति न्यूयॉर्क, अमेरिका द्वारा प्रकाशित वैश्विक हिंदी पत्रिका 'सौरभ' और अखिल विश्व हिंदी समिति टोरंटो, कनाडा द्वारा प्रकाशित एवं डॉ हरिसिंह  पाल द्वारा संपादित कृति 'हिंदी के पुरोधा - डॉ दाऊजी गुप्त' का लोकार्पण मंचस्थ अतिथियों द्वारा किया गया।  इस अवसर पर डॉ स्नेह ठाकुर, डॉ पूर्ण सिंह डबास, अरुण कुमार पासवान, किरण कुमारी, ललित भूषण, डॉ सोनम वांग्मू  और डॉ नीलम सिंह की सद्य प्रकाशित पुस्तकों का भी लोकार्पण  गया। 

समारोह में अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् के मानद निदेशक श्री नारायण कुमार, बीजिंग विश्वविद्यालय  चीन के पूर्व हिंदी प्राध्यापक डॉ पूर्ण सिंह डबास, फीजी और सूरीनाम में भारत के पूर्व राजनयिक डॉ विमलेश कांति वर्मा, पोलैंड में रहे मारीशस के पूर्व हिंदी प्राध्यापक डॉ  सुधांशु शुक्ल, मारीशस एवं त्रिनिदाद में रहीं पूर्व राजनयिक डॉ सुनीता पाहूजा, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के हिंदी प्राध्यापक डॉ  अशोक कुमार ज्योति, प्रख्यात बाल साहित्यकार डॉ शकुंतला कालरा, विधि  भारती  की संपादक श्रीमती संतोष खन्ना, हिंदी प्रेमी मंडल हैदराबाद के अध्यक्ष श्री चवाकुल रामकृष्ण राव, मिर्जापुर के श्री ओमप्रकाश पांडे  और दिल्ली विश्वविद्यालय  के अनेक प्राध्यापकों की उपस्थिति सराहनीय रही। 



द्वितीय सत्र आभासी माध्यम से संपन्न हुआ जिसमें नीदरलैंड, अमेरिका, कनाडा, नार्वे,  संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल और भारत के तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा,  जम्मू-कश्मीर,  उत्तराखंड के  नागरी लिपि विद्वानों ने नागरी लिपि की महत्ता को प्रतिपादित किया।  इस सत्र का संचालन डॉ रश्मि चौबे ने किया। 

तृतीय सत्र में कर्मचारी राज्य बीमा निगम चेन्नई, तमिलनाडु के  संयुक्त निदेशक राजभाषा डॉ  श्याम सुन्दर कथूरिया और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, गाजियाबाद के सदस्य सचिव श्री ललित भूषण ने सूचना प्रौद्योगिकी  में नागरी लिपि की उपयोगिता पर पीपीटी के  माध्यम से प्रकाश डाला।  सत्र  का संचालन राज्य व्यापार निगम के पूर्व मुख्य प्रबंधक राजभाषा किशोर कौशल ने किया। 



समारोह के  आयोजन में भारतीय प्रसारण सेवा के पूर्व वरिष्ठ दूरदर्शन अधिकारी एवं  वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट डॉ अजय कुमार ओझा, कृषि वैज्ञानिक डॉ सतीश कुमार यादव, एचएससीसी इंडिया लिमिटेड के हिंदी अधिकारी श्री श्रवण कुमार, हंसराज महाविद्यालय  के डॉ अंशु यादव, डॉ पियूष द्विवेदी, डॉ राजवीर मीणा, परिषद् के कार्यकर्ता श्री कर्मवीर सिंह, जयशंकर, कुमारी कंचन का विशेष सहयोग रहा।  धन्यवाद ज्ञापन संयोजक और हंसराज महाविद्यालय  के हिंदी प्राध्यापक डॉ  रवि कुमार गोंड़  ने प्रस्तुत किया। 

नागरी लिपि परिषद् द्वारा इस अवसर पर पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गयी। 


















No comments:

Post a Comment