Sunday, July 20, 2025

Foota Basant Aaj Mausam Mein |Review|Acharya Rabindra Nath Ojha | Dr Harisingh Pal|Arun Kumar Paswan


Foota Basant Aaj Mausam Mein |Review|Acharya Rabindra Nath Ojha | Dr Harisingh Pal|Arun Kumar Paswan / Dr Ajay 
Kumar Ojha 


पुस्तक : फूटा बसंत आज मौसम में 
             (आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा की अनमोल हिन्दी कविताओं का                   अद्वितीय संग्रह)

संकलन, टंकण, सम्पादन एवं प्रस्तुति : डॉ. अजय कुमार ओझा 

प्रकाशक : लोकमित्र प्रकाशन, 1 /6588, पूर्वी रोहतास नगर 
                  शाहदरा, दिल्ली - 110032 
मोबाइल : 9910343376 

उपलब्धता : अमेज़न पर भी  उपलब्ध 



















Wednesday, July 16, 2025

Monday, July 14, 2025

Sunday, July 13, 2025

"फूटा बसंत आज मौसम में" पुस्तक (Foota Basant Aaj Mausam Mein)

 



"फूटा बसंत आज मौसम में" पुस्तक

(Foota Basant Aaj Mausam Mein)





स्नेहिल नमस्कार !

आज मेरे घर के मौसम में बसंत फूट गया है हालांकि सावन का पवित्र महीना चल रहा‌ है। बसंत इसलिए फूटा‌ है क्योंकि मेरे‌ हाथों में एक और पुस्तक है जिसका शीर्षक है " फूटा बसंत आज मौसम में "।
ये पुस्तक आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा की अनमोल हिंदी कविताओं पर आधृत है। यह पुस्तक 32 हिंदी कविताओं का संग्रह है। इससे‌ पहले 53 हिंदी कविताओं का संग्रह "हम हों‌ केवल भारतवासी" , 29 भोजपुरी कविताओं का संग्रह "छलके छलके नयनिया के‌ कोर", और 25 हिंदी कविताओं का संग्रह "हम तो भाई विषपायी हैं" प्रकाशित हो चुके हैं और अमेजन पर उपलब्ध ‌हैं । ये चौथा कविता संग्रह ‌है आपके बीच।
इस कविता संग्रह का भी संकलन, टंकण और संपादन करने‌ का सौभाग्य मुझे यानी डॉ. अजय कुमार ओझा को प्राप्त है और इस पुस्तक को आपके बीच प्रस्तुत करने का‌ भी‌। यह बहुत ही दुरुह और दुस्साध्य कार्य रहा‌ है । और हां आवरण चित्र भी मेरे‌ द्वारा ही लिया हुआ‌ है ।
यह पुस्तक दिल्ली के लोकमित्र प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गयी‌ है । लोकमित्र प्रकाशन से‌ दो और पुस्तकें‌ भी प्रकाशित हो‌ चुकी हैं - "बोल उठा‌ खेत‌ उस दिन" और "सूअर बड़ा कि मैं'।
कुछ संदर्भित चित्रों के‌ साथ आपको‌ छोड़े‌ जा‌‌ रहा‌ हूं।

धन्यवाद।











यह पुस्तक अमेज़न पर उपलब्ध है।





Personal Essays | Acharya Rabindra Nath Ojha | Ek Budhiya Ki Adhuri Kahani | Anuradha Prakashan

Personal Essays | Acharya Rabindra Nath Ojha | Ek Budhiya Ki Adhuri Kahani | Anuradha Prakashan




पुस्तक :     एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी 
                  (आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा के रोचक ललित निबंधों का रुचिकर संग्रह )

पुनर्सृजन,संकलन, टंकण,संपादन एवं प्रस्तुति : डॉ अजय कुमार ओझा 

प्रकाशक : अनुराधा प्रकाशन, नई दिल्ली 


अनुक्रम 

1. काशी की वह संगीत संध्या 
2. मुनिया की शादी 
3. एक कुत्ते की कहानी 
4. एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी 
5. और एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी पूरी हुई 
6. मैदान की कहानी उसी की जुबानी (1/2)
7. मैदान की कहानी : उसी की जुबानी (2/2)


यह पुस्तक अमेज़न पर उपलब्ध है। 








“जीवन विचित्र है, इसके विषय में कुछ भी कहा नहीं जा सकता।  जीवन कोई set formula पर नहीं चलता, कोई बँधी लकीर या बनी लीक या beaten track पर नहीं चलता। इसका कोई नक्शा, रूटीन, टाईमटेबल - schedule, itinerary या प्रोग्राम नहीं होता।  दुर्दान्त निर्झर की तरह या पवन-प्रवेग की तरह या वारिद माला की तरह या प्रकृति के प्रवेग या नियति के उद्वेग की तरह, विद्युत की कौंध या सागर की लहर की तरह यह कब कैसे कहाँ कैसा मोड़ ले लेगा, कोई नहीं बता सकता, कोई नहीं कह सकता।  अजीब unpredictability है इसमें - अजीब प्रवाह, तरंग और मौज है इसकी।  जीवन जैसा capricious, whimsical  और eccentric शायद ही कोई जीव मिले। और यही जीवन का charm है, यही इसका romantic glamour है - यही इसका halo है, आभा मंडल है।” 

"काशी की वह संगीत संध्या" से


“बाजार की दुनिया एक अलग दुनिया है - बाजार का भाव एक अलग भाव है - बाजार एक विलक्षण भाव - एक विलक्षण रूप - एक विलक्षण मनोदशा - एक विलक्षण मनःस्थिति - एक विलक्षण दृष्टि - एक विलक्षण दृष्टिकोण - एक विलक्षण जीवन-दर्शन - पैसा, पैसा, पैसा - द्रव्य, द्रव्य, द्रव्य - धन, धन, धन  - आमद,  आमद, आमद बस और कुछ नहीं - बाजार मानवता का कब्रिस्तान है - दिव्यभावों का श्मशान है - आदर्शों का रेगिस्तान है - विचारों की मरुभूमि है - भावनाओं की दावाग्नि है - कल्पनाओं का महाभारत है - प्रेरणाओं की विध्वंस-लीला है, विनाश-भूमि है।”


"एक बुढ़िया की 'अधूरी' कहानी" से